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________________ परम्परा एवं आधुनिकता बनाम इतिहास बोध : भारतीय संदर्भ / 157 10 देखिए हीस्टनमान, जे.सी. द इनर कांफ्लिक्ट ऑफ ट्रैडिशन, शिकागो 1985, पृ. 1; श्यामाचरण दुबे, परम्परा, इतिहास बोध एवं संस्कृति, दिल्ली, 1992, पृ. 16, 25 11 यशदेव शल्य, ज्ञान और सत, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 1967 'मानव-प्रतिमा नामक अध्याय 12 श्यामाचरण दुबे, परम्परा, इतिहास बोध और संस्कृति, चौथी आवृति, 2008, पृ. 13 13 चीन में 'नया चीन' बनाने के प्रयास में साम्यवादियों ने परम्पराओं पर भारी प्रहार किए। 14 श्यामा चरण दूबे, पूर्वोक्त, पृ. 16 15 पूर्वोक्त, पृ. 83 16 उपरोक्त, पृ. 85 17 भौतिकवादी विचारक तो संस्कृति का आधार ही भौतिक सिद्ध करने में लगे हैं। 18 दार्शनिक स्पिनोजा भी इसका समर्थन करते हैं और आत्मा (soul) और ईश्वर (God) के द्वैत का विरोध कर आत्म-ज्ञान (intellect) को सब ज्ञानों का मूल मानते हैं, राधाकृष्णन, रिलिजन एण्ड सोसाइटी, द्वितीय संस्करण 1948, पृ. 156 19 योगेन्द्र सिंह, कल्चर इन इण्डिया आइडेनटिटी एण्ड ग्लोबलाइज़ेशन, रिप्रिन्ट, दिल्ली 2008, पृ. 29 20 कार, इ.एच. वॉट इज़ हिस्ट्री, रिप्रिन्ट, 1970, पृ. 30 27 माइकल मुरे, माडर्न फिलासफी ऑफ हिस्ट्री, इट्स ओरिजिन एण्ड डेस्टीनेशन, मार्टिनस निज्होफ, द हेग, 1970 22 जी एस.पी. मिश्रा, द कान्सेप्ट ऑफ हिस्ट्री एण्ड द नेचर ऑफ हिस्टारियोग्राफी, जिज्ञासा, ए जर्नल ऑफ द हिस्ट्री ऑफ आइडिया एण्ड कल्चर, अंक 1. जनवरी-अप्रैल, 1974, नं. 112, पृ. 10 23 महाभारत, गीता प्रेस, अंक 1, 1.1.63.
SR No.022812
Book TitleJignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVibha Upadhyaya and Others
PublisherUniversity of Rajasthan
Publication Year2011
Total Pages272
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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