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________________ (२५) पति के अनुचर हैं । उसी की आज्ञा से हमने यहां चोरी की है । चोरों की इस बात को सुनकर राजा साहब को बड़ा क्रोध चढा | चोरों से एकावली हार को लेकर शहर कोतवाल को यह आदेश दिया कि इन्हें कारागार में बन्द करदो | कोतवाल ने भी "महाराज की जो श्राज्ञा"कह कर उन सबको जेल भेज दिया। 1 I जब ये समाचार पल्लीपति को मालूम हुए वहबहुत बिगड़ा ! एकदम एक बहुत बड़ी सेना लेकर उसने सिंहपुर को घेर लिया । ऐसी स्थिति में रक्षा का कोई दूसरा उपाय न देखकर मुझे दूत बना कर आपकी सेवामें भेजा है। मैंने भी आपके सामने वास्तविक स्थिति को रखकर अपना कर्त्तव्य पालन किया है । इसके आगे जैसा आप उचित समझें वैसा करें | आप हमारे शिरोमणि हैं । 1 " इतना कह कर 'दूत के चुप हो जाने पर राजा दोपचन्द्रदेव ने भी उसके वचनों का समर्थन करते हुए कहा महाराज ! वास्तव में वात ऐसी ही है । इस दुष्ट पल्लीपति के आतङ्क से यह दीपशिखा भी अत्यन्त भयभीत है । इसका सारा कारोबार करीब २ ठप्प सा होगया है । लोग इच्छानुसार व्यापार नहीं कर पाते । मार्ग इतने T
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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