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________________ " .. . . Sharner ( ३२२ ) कुमार उस शब को कभी कंधे पर और कभी हाथ में उठाता। हुप्रा मार्ग में चलने लगा। इतने में उस शव ने जोर से हँस कर कुमार से कहा, "तुम राजा मी हो और राजकुमार भी हो अत: मुझे कोई कथा सुनाओ ।" लेकिन कुमार ने उसको कोई उत्तर नहीं दिया । तब वह शव फिर बोला, "अगर तुम नहीं कहते हो तो लो मैं ही पद्मावती की लौकिक कथा सुनाता हूँ मगर सुनते समय हुँकारा अवश्य देना पड़ेगा।" यह कह कर शव ने कहना शुरू किया- . ___ क्षितिप्रतिष्ठित नाम के नगर से राजकुमार गुणसुन्दर और मन्त्री कुमार सुबुद्धि ये दोनों घोड़े पर बैठ कर बाहर निकले । देव-योग से माग भूल कर वे किसी बड़ी भारौं अंटवी में भटकने लगे। प्यास के मारे उनके होंठ सूख कर काले पड़ गये थे, और चेहरे निस्तेज हो चले थे । अन्त में पानी की खोज करते करते एक सरोवर की तीर पर जा पहुँचे । वहाँ पर वे दोनों एक यक्ष मन्दिर में ठहरे । सुबुद्धि शीघ्र ही तालाब का जल पीकर लौट आया और घोड़ों की रखवाली करने लगा। इसके बाद राजकुमार ने भी बहुत समय की प्यास को शान्त किया। बाद में वह सरोवर में जल-क्रीड़ा करता हुी. समिन के तौर पर जा पहुँचा। वहाँ कोई कन्या कमल "-33 . ..A M ji. .
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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