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________________ ( १९६ ) बोनी- माई इस मगर में घुसने बालों की अपने प्रागों से हाथ धोना पड़ता है इसीलिए मैंने तुम्हेसिका है। कुमार ने पूछा-मैना ! इस नगर प्रदेश का क्या नाम है ? यह शून्य क्यों है ? प्राणों से हाथ क्यों धोना पड़ेगा ? क्या ये सब बातें बतायोगी ? .. सारिका ने कहा-क्यों नहीं ? सुनो-इस प्रदेश का नाम कुण्डलाचल है इस नगर का नाम कुण्डलपुर है। यहां अंजुन नाम का राजा राज्य करता था। इसके पांच रानियां थीं जिनमें सुरसुन्दरी मुख्य थी। यहां लगभग महीने में चार पांच चोरियां हो जाती थी । राजा और नगर रक्षक सभी उस चोर की खोज में लगे हुए थे। एक बार उस राजाने रात में चुराये हुए धन को लेकर भागते हुए उस चोर को देखा। राजा ने गुप्त रूप से उसका पीछा किया मगर चोर को इस बात का पता चल गया और वह राजा को धोखा देकर नगर के बाहर एक मठ में जा घुसा। वहां सोये हुए एक सन्यासी के पास उसी के कपड़ों में चुराया हुआ धन रखकर वह चोर नौरोग्यारह होगया । राजा. ढूंढता हुआ उसी मठ में जा पहुँचा। सन्यासी को चोर समझकर खूब फटकारते हुए वनों की तलाशी ली। उनमें से वह चोर कारखा हुमा 1 .
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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