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________________ (१७९) 1 जह रयणं मयण-सुगूहियं पि अंतो-फुरंत-कंतिल्लं । इय कम्म-रासि-गूढो जीवो वि हु जाणए किंचि ।। 3 जह दीवो वर-भवणं तुगं पिहु-दीहरं पि दीवेइ । मल्लय-संपुड-छूडो तत्तिय-मेत्तं पयासेइ ।। 5 तह जीवो लक्ख-समूसियं पि देहं जणेइ सज्जीवं । पुण कुंथु-देह-छूढो तत्तिय-मेत्तेण संतुट्ठो ।। 7 जह गयणयले पवणो वच्चंतो णेय दीसइ जणेण । तह जीवो वि भमंतो णयणेहि ण घेप्पइ भवम्मि ।। 9 जह किर घरम्मि दारेण पविसमाणो णिरुंभई वाऊ । इय जीव-घरे रुंभसु इंदिय-दाराइं पावस्स ।। 11 जह डज्झइ तण-कट्ठ जाला-मालाउलेण जलणेण । तह जीवस्स वि डज्झइ कम्म-रयं झाण-जोएण ।। 13 बीयंकुराण व जहा कारण-कज्जाइँ णेय णज्जति । इय जीव-कम्मयाण वि सह-भावो णंत-कालम्मि ।। 15 जह धाऊ-पत्थरम्मि सम-उप्पण्णम्मि जलण-जोएहिं । डहिऊण पत्थर-मलं कीरइ अह णिम्मलं कणयं ।। 17 तह जीव-कम्मयाणं अणाइ-कालम्मि झाण-जोएण । णिज्जरिय-कम्म-किट्टो जीवो अह कीरए विमलो ।। 19 अह विमलो चंदमणी झरइ जलं चंद-किरण-जोएण । तह जीवो कम्म-मलं मुंचइ लभ्रूण सम्मत्तं ।। 21 जह सूरमणी जलणं मुचइ सूरेण ताविओ संतो । तह जीवो वि हु णाणं पावइ तव-सोसियप्पाणो ।। 1)P रयणमयणसुगूहियंमि. 2) P रासिमूढो, P वि न याणएइ, P om. किंचि ।। जह दीवो etc. to पि देहं जणेइ. 3) J जीवो for दीवो. 9) P दारे पविस्समाणो, P वाओ. 12) P ज्झाणजोगेण. 13) P बीयंकुराव जाव हा कारण. 15) J धाउ P धाओ, J पत्थरमी, J उप्पण्णं पि. 17) P अणावि काले वि ज्झाणजोगेहिं. 18) P जीवो अह कीरइ अह निम्मलं कणयं, P reapeats तह जीवकम्मयाणं etc. to अह कीरए विमलो. 19) J जह for अह, J सरइ for झरइ, P किरणसंगेण. 22) P नाणं पवइ तह सोसि०.
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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