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________________ 1 ण य सीयलो ण उण्हो ण य फरुसो णेय कोमलप्फरिस । गुरु-लहु-सिणिद्ध-भावं वच्चइ देहम्मि कम्मेणं ।। 3 ण य अंबिलोण महुरो ण य तित्तो कडु - कसाय - लवणो व्व । दुरही-सुगंध-भावं वच्चइ देहस्स मज्झ-गओ 5 9 ण यसो घडवड-रूवो अच्छइ देहस्स मज्झयारम्मि । णय होइ सव्व-वावी अंगुट्ठ - समो वि य ण होइ ।। णिय-कम्म-गहिय-पोग्गल-देह-पमाणो परोप्पराणुगओ । ह - दंत-केस - वज्जो सेस - सरीरम्मि अवि भावो || जह किर तिलेसु तिल्लं अहवा कुसुमम्मि होइ सोरब्भं । अण्णोण्णाणुगयं चिय एवं चिय देह - जीवाणं ।। जह देहम्मि सिणिद्धे लग्गइ रेणू अलक्खिओ चेय । रायद्दोस - सिणिद्धे जीवे कम्मं तह च्चेय ।। जह वच्चंते जीवे वच्चइ देहं पि जत्थ सो जाइ । तह मुत्तं पिव कम्मं वच्चइ जीवस्स णिस्साए || जह मोरो उड्डीणो वच्च घेत्तुं कलाव - पब्भारं । तह वच्चइ जीवो विहु कम्म-कलावेण परियरिओ || जह कोइ इयर-पुरिसो रंधेऊणं सयं च तं भुंजे । तह जीवो विसयं चिय काउं कम्मं सयं भुंजे || जह वित्थिण्णम्मि सरे गुंजा-वायाहओ भमेज्ज हढो । तह संसार-समुद्दे कम्माइद्धो भमइ जीवो ।। जह वच्चइ को विणरो णीहरिउं जर घराउ णवयम्मि । तह जीवो चइऊणं जर-देहं जाइ देहम्मि ।। 7 11 13 15 17 19 21 (१७९) 4 ) J सुअंध. 5 ) P विड for वड. 6) P य न वि for वि य ण. 7) P परोप्पणुगओ. 8) P केसविज्जो से सरीरंमि, J भाओ. 9) P कुसुमेसु देइ सोरंभं. 10) P एयं चिय जीव देवाणं. 11 ) P सिणिद्धो, P अलक्खेओ. 12 ) P सणिद्धे. 13) P जायइ. 14) J पिविकम्मं. 15) P कलावभारं पि. 16) P य for हु, J विहु विहिकम्मकलावपरि॰. 17) J रद्धेऊणं P रंधेसंऊणं. 19) P हडो. 20) P भइ for भमइ. 21) J कोइ णरो, J नवयंति, P नवतंमि जं किं चि जह दीवो चऊरुणं जह देहं .
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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