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________________ मुंज युद्धकुशल था । इसने मेवाड के राजा खुमाण (शक्तिवाहन) को हराया था । तिलंग पर भी आक्रमण किया, किन्तु वहाँ के राजा तैलप ने इसे हरा दिया और कैद कर दिया। मालव के मन्त्रियों ने उसे मुक्त कराने हेतु सुरंग का रास्ता तैयार करवाया, किन्तु जैल में मुंज एक रूपसुन्दरी मृणालिका के प्रेम में फंस गया था । राजा तैलप ने मृणालिका से सुरंग की बात जान ली तब मुंज को जैल में कठोर यातनाएँ देकर मरवा डाला । राजा भोज मुंज के बाद सीयक का पौत्र और सिंधुल का पुत्र भोज मालव की राजगद्दी पर आया । यह शूर, विद्वान् और दानी था । एक बार गुजरात पर आक्रमण करने के लिए प्रयाण किया, परन्तु बीच ही गुजरात के सन्धिपाल दामोदर की चतुराई से युद्ध की दिशा बदल कर तिलंग का रास्ता लिया । राजा भोज की सभा में कविराज धनपाल, आ.श्री महेन्द्रसूरि, शोभन मुनि, आ.श्री चन्दनाचार्य, आ. श्री सूराचार्य, आ. श्री वादिवेताल शान्तिसूरि आदि ने अच्छा प्रभाव डाला था । राजा भोज आ. श्री अजितसेनसूरि के शिष्य आ.श्री जिनेश्वरसूरि का भक्त था ।। इसी समय नीलपट नाम का एक शैव मत निकला था, जिसमें वामपंथ की मुख्यता थी । राजा भोज ने इस मत का उच्छेद किया । वि.सं. १११२ में काशीराज कर्णदेव ने कर्णाटक के राजा सोमेश्वर और गुजरात के राजा भीमदेव को साथ लेकर धारा पर धावा बोल दिया । इससे राजा भोज का दिल टूट गया और अन्त में मरण के शरण हुआ । धारा नष्ट हो गई तथा बाद में मांडवगढ मालवा की राजधानी बनी। राजा नरवर्मा राजा भोज के बाद सिन्धुराज का दूसरा पुत्र जयसिंह (वि.सं. १११२ से १११६) राजा बना । उसके बाद सिन्धुराज का तीसरा पुत्र उदयादित्य (वि.सं. १११६ -११४३) राजगद्दी पर आया । उदयादित्य के बाद उसका पुत्र लक्ष्मदेव (वि.सं. ११४३-११६०) मालवा का राजा हुआ । लक्ष्मदेव के बाद उसका छोटा भाई नरवर्मा (वि.सं. ११६१-११९०) राजगद्दी पर आया । यह विद्वान् था। राजगच्छ के (७१)
SR No.022704
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandrasuri
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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