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________________ मंत्री झांझनशाह पेथड शाह का पुत्र झांझन शाह भी मांडवगढ का मंत्री बना । वि.सं. १३४६ में इसने भी शत्रुंजय - गिरनार तीर्थ का छ' री पालित संघ निकाला । सत्यवादी सोनी भीम सोनी भीम खंभात का निवासी था । आ० श्री देवेन्द्रसूरि का यह परम भक्त था और इसने उनके समक्ष जूठ न बोलने की प्रतिज्ञा ली थी । I 1 एक बार कुछ डाकुओं ने भीम को बान में लेकर उसके पुत्रों से चार हजार रुपये मांगे । भीम के पुत्रों ने नकली सिक्के भेजे, जिनकी परीक्षा का कार्य डाकुओं ने भीम को ही सौंपा । भीम ने परीक्षा कर तुरन्त कहा - ये सिक्के नकली हैं । इस तरह भीम की सत्यवादिता से प्रभावित हो कर डाकुओं ने इसे मुक्त कर दिया । बाद में भीम ने भी उन डाकुओं को डाके डालने के धंधे से छुडाकर खेती के धंधे में लगा दिया । 1 सोनी भीम ने नगर में भूमि के अभाव से नगर से बाहर एक बडी पौषधशाला बनवाई । किसी ने भीम से कहा- पौषधशाला तो भव्य बनी है किन्तु पैसे पानी में गये । क्योंकि जंगल में होने से यहाँ कौन आयेगा ? भीम ने हँसकर कहा- बात तो तुम्हारी सही है, फिर भी कपडे आदि की फेरी करने वाला कोई एक आध जैन यहाँ आकर सामायिक करेगा अथवा नमस्कार मंत्र जपेगा तो वह द्रव्य सफल हुआ मानूंगा । हुआ भी ऐसा कि पौषधशाला की दिशा में ही नगर बढा और पौषधशाला नगर के मध्य में हो गई, क्योंकि वह न्यायोपार्जित धन से बनी थी । इसी भीम ने आ० श्री देवेन्द्रसूरि का स्वर्गवास होने से उनके वियोग में १२ वर्ष तक अन्न का त्याग किया था । विदेशी आक्रमणकार और उनका शासन भारत पर हूणों के बाद भी अनेक विदेशियों ने आक्रमण किये और शासन किया । उनका संक्षिप्त उल्लेख निम्न प्रकार है : मुहम्मद कासिम ने ई.स. ७११ में सिन्ध पर आक्रमण किया था । (१५)
SR No.022704
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandrasuri
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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