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________________ तब वज्रकर्ण ने लक्ष्मण को अपनी आठ कन्याएँ प्रदान की जिन्हें लक्ष्मण ने बाद में परिणय कर ले जाने हेतु आश्वस्त किया। 183 तत्पश्चात् सिंहोदर एवं वज्रकर्ण स्वयं के राजकार्य में लग गए तथा राम, लक्ष्मण व सीता रात्रि व्यतीत कर प्रात:काल होने पर आगे रवाना हुए। (ख) कल्याणमाला-वालिखिल्य रुद्रभूति प्रकरण : वन में चलते हुए सीता को प्यास लगने पर लक्ष्मण ने एक सुन्दर सरोवर देखा। वहाँ कुबेरपुर के राजा कल्याणमाला ने लक्ष्मण को भोजन के लिए निमंत्रित किया। 184 लक्ष्मण को ज्ञात हो गया कि यह पुरुष वेश में स्त्री है। वे बोले"स्वामी ! राम के बिना मैं भोजन नहीं करता हूँ। तभी राम ने आकर कुबेरपति को रुप न छिपाने को कहा। 185 तब कल्याणमाला कहने लगा- इस कुबेर महानगर के राजा बलिखिल्य की पृथ्वी नामक पत्नी के गर्भवती होने पर रुद्रदेव राजा उसे पकड़ कर ले गया। पृथ्वी देवी से मेरे पैदा होने पर मंत्री ने घोषणा की। 186 तभी सिंहोदर ने बालिखिल्य के आने तक उस बालक को राजा घोषित किया।" 187 __ प्रारंभ से ही पुरुषवेशधारी मुझे केवल माता व मंत्री ही जानते हैं एवं राज्यासीन हूँ। 188 मेरे पिता वर्तमान में म्लेच्छों के कब्जे में है, कृपया आप उन्हें मुक्त करने का श्रम कराएँ। 189 राम ने उसकी बात स्वीकार कर ली। तब मंत्री ने बिलखा लक्ष्मण को दी जिसे बाद में विवाह कर ले जाने का आश्वासन राम ने दिया। 190 तीन दिन वहाँ रहकर सभी को सुप्तावस्था में छोड़कर राम आगे चले। आगे नर्मदापार कर उन्होंने विंध्याचल के जंगलों में प्रवेश किया। तभी दर्शनार्थ निकली म्लेच्छ सेना के सेनापति ने अपनी सेना को राम-लक्ष्मण को मारकर सीता को जिन्दा पकड़ने का आदेश दिया। वह देख म्लेच्छ सेना से लक्ष्मण ने भयंकर युद्ध किया व उन्हें भगा दिया 193 म्लेच्छ राजा ने राम की शरण में आकर अपना परिचय दिया।4 व अपराध को स्वीकार किया। 195 राम ने आदेश दिया-वालिखिल्यं विमुञ्चेति तदनुसार बालिखिल्य को मुक्त कर दिया। वालिखिल्य ने कुबेरपुर जाकर पुत्री कल्याणमाला को संभाला। 196 कल्याणमाला ने राम-लक्ष्मण का म्लेच्छों से युद्धादि का संपूर्ण वृत्तांत बालिखिल्य से कहा। अब राम ने वहाँ से प्रस्थान किया। विंध्यावरी को पार कर वे "ताप्ती" क्षेत्र मे पहुँचे। 197 (ग) कपिल ब्राह्मण प्रकरण : तापी को पार कर राम भागवती प्रांत के एक ग्राम में जल पीने हेतु क्रोधी कपिल ब्राह्मण के घर गए। 198 ब्राह्मण पत्नी सुशर्मा ने उन्हें शीतल जल पिलाया। इतने में कपिल घर आकर कुपित हो ब्राह्मणी से बोला -- अरे पापिनी। इन मलीन को घर में लाकर तूने 82
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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