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________________ वाली कन्याएँ भी उसकी पत्नियों में समाविष्ट थीं। रावण की पत्नी मंदोदा से मेघवाहन एवं इन्द्रजीत दो पुत्र उत्पन्न हुए।" (य) रावण का प्रताप : दिग्विजय के लिये प्रस्थान किए हुए रावण ने अनेक विद्याधरों को वश में किया। अपनी पूजा में विघ्ररुप सेनायुक्त सहस्रांशु को रावण ने जिन्दा पकड़ लिया। 40 यमराज को भी युद्ध में पछाड़ दिया। 41 रावण ने भयंकर दुर्धलपुर के किले को जीता। वहाँ उसे सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ। 5 रावण का इन्द्र से भयंकर युद्ध हुआ जिसमें रावण ने इन्द्र को हराया एवं पकड़ कर कारावास में डाल दिया। " ऐसी जैन रामायण की अनेक कथाएँ रावण के प्रताप को स्पष्ट करती हैं। रावण विकट योद्धा एवं दिग्विजयी था। वह चतुरंगिणियों का अधिपति था। इस प्रकार रावण यहाँ अपरिमित शक्ति का निकाय माना गया है। (२) राम-जन्म : शिक्षा-दीक्षा एवं किशोरावस्था का पराक्रम (अ) राम-जन्म की परिस्थितियाँ : हेमचंद्र ने रामजन्म के पूर्व का जो चित्रण किया है उससे ज्ञात होता है कि रावण लंका का राजा था परंतु लगभग दक्षिण भारत के आधे भाग पर उसका शासनाधिकार था। 45 मिथिला में उस समय जनक राजा थे। राजाओं के आपसी विवादों का प्रमुख कारण राज्य या कन्याओं का आदान-प्रदान था। चारों और हिंसाचार फैल रहा था जिसे रोकने हेतु जैन साधु उपदेश कर रहे थे। 47 अनेक राजा जैन मुनियों के उपदेश सुनकर संयमव्रत धारण कर रहे थे। 48 विभिन्न प्रकार के जैनमहोत्सवों यथा अष्टाह्निका, संयममहोत्सव आदि का आयोजन हो रहा था। २२ निर्बलों का जीवन कष्टमय था एवं बलवान राजा अत्याचार करते थे। स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। सुकृत कार्य करने पर भी उन्हें सम्मान प्राप्त नहीं था। नघष राजा की वीरंगना रानी सिंहिका ने जब पति की अनुपस्थिति में शत्रुओं को मार भगाया तो इस कृत्य से क्षुब्ध होकर राजा ने उसका त्याग कर दिया। राजा के अनुसार यह कार्य स्त्रियोचित नहीं था। 50 जवकि सिंहिका पतिपरायण एवं सती नारी थी। रावण जैसा अत्याचारी राजा अपनी मृत्यु की पंडितों की भविष्यवाणी मात्र से निर्दोष दशरथ एवं जनक राजा का वध करने हेतु तैयार हो गया था अर्थात् अत्याचारों की कोई सीमा नहीं थी। वन्ततः जैनधर्म मय वातावरण होते हुए भी समय संत्रास एवं अशांतिप्रद था। (आ) माता-पिता : राजा दशरथ का विवाह दर्भस्थल नगर के राजा सुकोशल की रानी अमृतप्रभा से उत्पन्न पुत्री अपराजिता से हुआ ? साथ ही कैकेयी एवं सुप्रभा नामक अन्य राजपुत्रियों से भी दशरथ ने विवाह किया। अपराजिता से पद्मतुल्य पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम राम दिय : अतः राम के पिता दशरथ एवं माता अपराजिता थी। सुमिन्ना में लक्ष्मः चं कैकयी से भरत. सुप्रभा से शत्रुघ्न का जन्म हुआ। 71
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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