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________________ पंचम संस्करण इतिहास स्वयं में रसीला होता है, उसमें भी तीर्थंकरों का जीवन-वृत्त और भी अधिक प्रेरक है। हर व्यक्ति के लिये यह पठनीय है, मननीय है। बिना किसी साहित्यिक आडम्बर के सहज सरल भाषा होने से कम पढ़े-लिखे लोग भी इससे लाभ उठाते रहे हैं। यही कारण है-प्रति वर्ष इसके पाठक बढ़ते जा रहे हैं। तीसरे संस्करण से पुस्तक को जैन विश्व भारती प्रकाशित कर रही है। यह पुस्तक का पंचम संस्करण कुछ विशेष सामग्री के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत है। पाठक अधिक से अधिक लाभ उठायेंगे, इसी शुभाशंसा के साथ। मुनि सुमेर (लाडनूं) २१ अप्रैल, १९९५ अणुव्रत भवन नई दिल्ली
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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