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________________ ४. लक्ष्मी, ५. पुष्पमाला, ६. चन्द्र, ७. सूर्य, ८. ध्वजा, ९. पद्म-सरोवर १०. क्षीर सरोवर, ११. कुंभ १२, विमान, १३. रत्न राशि, १४. अग्नि । दिगम्बर ग्रन्थ महापुराण में आचार्य जिनसेन ने मत्स्य युगल और सिंहासन ये दो अतिरिक्त स्वप्न बतलाये हैं। तीर्थंकरों की जन्म-तिथियों में भी अन्तर है। कहीं-कहीं तो समझ का भेद है और कहीं-कही वस्तुतः अन्तर ही है। भगवान् ऋषभ की जन्म-तिथि श्वेताम्बर-आगमों में चैत्र कृष्णा अष्टमी है और दिगम्बर ग्रन्थों में चैत्र कृष्णा नवमी है। सभी तीर्थंकरो का जीवन मध्य रात्रि में हुआ है। जिन आचार्यों ने मध्य रात्रि के बाद तिथि-परिवर्तन माना उन्होंने अगली तिथि को जन्म मान लिया जिन्होंने सूर्योदय के साथ तिथि-परिवर्तन का सिद्धान्त माना, उन्होंने चालू तिथि को जन्म-तिथि के रूप में घोषित कर दिया । अनेक तीर्थंकरों की तिथि में तीन-चार दिनों का भी अन्तर मिलता है। यह सम्भवतः नक्षत्रों की काल-गणना के साथ तिथि का मेल बिठाने के कारण हुआ है। ___ इसी प्रकार लक्षण, वर्ण आदि में भी कहीं-कहीं भेद नजर आता हैं | कुमारावस्था व राज्यावस्था में भी कहीं-कहीं भेद है । भगवान् महावीर को दिगम्बर परम्परा में विवाहित नहीं मानते, जबकि श्वेताम्बर परम्परा विवाह की पुष्टि करती हैं। शास्त्रकारों ने महावीर के परिवार में माता-पिता के साथ उनकी पत्नी और पुत्री का भी नामोल्लेख किया है। इन छुट-पुट अन्तरों के अतिरिक्त शेष जीवन-वृत्त प्रायः एक जैसा ही मिलता है। _ वि० संवत् २०२८ के फाल्गुन मास में उदासर-बीकानेर में आचार्य प्रवर ने बातचीत के दौरान एक बार कहा था-"तीर्थंकरों के जीवनवृत्त काफी विस्तार में है, चौबीस ही तीर्थंकरों की जीवनी यदि संक्षिप्त में लिखी जाए, तो सबके लिए उपयोगी बन सकती है। इसके साथ ही मेरी ओर संकेत करते हुए आचार्य श्री ने फरमाया- “लिखो, सरल भाषा में लिखो, जो सबके लिए उपयोगी बन सके।" आराध्य के उसी संकेत को ध्यान में रखते हुए मैंने तीर्थंकरों का जीवन परिचय संक्षिप्त में लिखा है। बोलचाल की भाषा में सिर्फ जीवन-तथ्यों को उजागर करने का प्रयत्न किया है। पढ़ने से हर नये व्यक्ति को तीर्थंकरों के जीवन की झलक मिल जाये, सिर्फ यही उद्देश्य रहा है। विद्यार्थियों के लिए तो यह पुस्तक और भी अधिक उपयोगी हो सकती है बिना भाषाई आडम्बर के सीधी-सादी भाषा में कहानी की तरह लिखने का प्रयत्न किया गया है। __ आशा है, यह लघु प्रयास जैन-अजैन सभी को प्रारम्भिक जानकारी बढ़ाने में सहयोगी बनेगा। २१ अगस्त १९७९ मुनि सुमेर (लाडनूं) तेरापंथी सभा भवन बैंगलूर
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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