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________________ ३२/तीर्थंकर चरित्र को हमारी देखभाल का काम सौंपा है, किन्तु बाबा जैसी क्षमता उनमें कहां? ऐसी प्रतिभा औरों में मिलनी असंभव है! अच्छा हो, हम लोग बाबा का अनुगमन करने वाले बन जायें, फिर कोई संकट नहीं हैं। हर समस्या का समाधान बाबा स्वयं करेंगें। Vin U AR THEATENIEUTITraile इसी धुन में निष्क्रमण की तिथि चैत्र कृष्णा अष्टमी के दिन एक, दो नहीं पूरे चार हजार व्यक्ति ऋषभ के पास एकत्रित हो गये। ठीक समय पर ऋषभ ने अभिनिष्क्रमण किया। अभिनिष्क्रमण देखने के लिये दूर-दूर के लोग पहुंच गये थे। भविष्य के प्रति सभी सशक थे। साधना के प्रति सभी को अज्ञात विस्मय हो रहा था। चौसठ इन्द्रों के साथ हजारों देव भी उत्सव में सम्मिलित हुए। शहर के बाहर एक उपवन में पहुंच कर ऋषभ ने अपने वस्त्राभूषण उतार कर इन्द्र को सौंप दिए। ___ अब ऋषभ ने केश-लुंचन प्रारम्भ किया ! पहले आगे के केश उखाड़े, फिर दायें-बायें भाग का लुंचन किया व उसके बाद पीछे के केशों का लुंचन किया। अन्त में मध्य भाग में रहे केशों का लुंचन प्रारम्भ किया तब इन्द्र ने प्रार्थना की-'प्रभो! इन्हें रहने दीजिये, बहुत सुन्दर लगते हैं। इन्द्र की प्रार्थना पर भगवान् ऋषभ ने उन केशों को वैसे ही छोड़ दिया। भगवान् ऋषभ का अनुकरण अन्य लोगों ने
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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