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________________ की हो, ऐसा मानने में आपत्ति नहीं हैं । बौद्ध नागार्जुन की अन्य रचनाएं — उपायहृदय, माध्यमिककारिका, विग्रहव्यावर्तनी, रत्नावली, सुहृलेख, द्वादशमुखशास्त्र, महाप्रज्ञापारमिता शास्त्र हैं । 'सिद्धयोग' (वृन्दमाधव की व्याख्या 'कुसुमावली' में 'नागार्जुनवार्तामाला' का उल्लेख है । 'नागार्जुनवार्तामालायां पठ्यते' ( व्याख्या कुसुमावली, पृ. 172)। ( 3 ) 'चक्रपाणिदत्त' ने 'चिकित्सासंग्रह' या 'चक्रदत्त' के 'रसायनाधिकार' में मुनि नागार्जुन प्रणीत गंभीर लोहशास्त्र का सार 90 आर्याओं में लिखा है । इसे 'अमृतसार लौह' कहा है । 'रसेन्द्रचितामणि' में भी यह लौहविधि दी गई है । 'नागार्जुनो मुनीन्द्रः शशास यल्लोहशास्त्रमतिगह्नम् । तस्यार्थस्य स्मृतये वयमेतद्विशदाक्षरैब्रमः । ' 'चक्रपाणि' ने नेत्र रोगचिकित्साधिकार में तिभिरादिरोगों के लिए 'नागार्जुनीवर्ति' का पाठ दिया है । यह पाठ नागार्जुन ने पाटलिपुत्र के स्तंभ पर लिखवाया था - 'नागार्जुनेन लिखिता स्तम्भे पाटलिपुत्रके ।' ( 4 ) नागार्जुन विरचित निम्न रसशास्त्र और तंत्र सम्बन्धी ग्रन्थ मिलते हैं - 1. कक्षपुटम् या कक्षपुटतंत्रम् 2. रसरत्नाकर रसेन्द्र मंगल रसकक्षपुटम् (5) नागार्जुनकृत कामशास्त्र पर 'रतिशास्त्र' ग्रन्थ प्राप्त है उपर्युक्त रस, तंत्र, कामशास्त्रसम्बन्धी सब ग्रन्थ 'सिद्धनागार्जुन' के हैं । उनको 'सरहपा' का शिष्य बताया जाता है । उनका मूलस्थान विदर्भ में था । नालंदा में उनकी शिक्षा दिक्षा हुई थी । उत्तरी भारत में रसविद्या के प्रचार-प्रसार का श्रेय उनको प्राप्त है । वे नालंदा में प्रधान आचार्य भी रहे । इनका काल 7 वीं - 8वीं शती है । 3. 4. तिब्बती लामा तारानाथ के इतिहास में बौद्ध नागार्जुन और सिद्ध नागार्जुन की जीवनी मिल-जुल गयी है । नागपुर के पास 'रामटेक' में उनका निवास था । वहां एक गुफा अब भी है, जिसे 'नागार्जुन की गुफा' कहते हैं । 'डा. हीरालाल ' ने लिखा है विदर्भदेश के एक ब्राह्मण का लड़का 'रामटेक' की पहाड़ी पर मौत की प्रतीक्षा करने को भेज दिया गया था, क्योंकि ज्योतिषियों ने उसके पिता को निश्चय करा दिया था कि वह अपनी आयु के सातवें बरस मर जायगा । यह बालक रामटेक के पहाड़ी की एक खोह में नौकरों के साथ जा टिका | अकस्मात् वहां से 'खसर्पण महाबोधि - [ 85 1
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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