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________________ हा था। इस पर 'नरसिहकृत' भाष्य भी है। रसवैशेषिकसूत्र में द्रव्यगुण संबंधी मौलिक सिद्धातों--- रस, गुण, वीर्य, विपाक, प्रभाव आदि पर मौलिक विचार सूत्र रूप में निबद्ध हैं। यह ग्रन्थ 'आरोग्य मजरी' का ही अंश है। उपलब्ध ग्रन्थ की उपक्रम में लिखा है --- 'अधात आरोग्यशास्त्रं व्याख्यास्यामः ।।।" ___ लगता है कि यह ग्रन्थ विस्तृत रहा होगा, जिसमें द्रव्य गुण के साथ निदान आदि निएकी मलित रहे होंगे । 'आरोग्य मजीकार' ( र सवैशेषिकसूत्रकार और 'सुश्रुतसंहिता के प्रति संस्कृता' मागार्जुन एक ही पक्ति रहे होंगे; क्योंकि 'सुश्रुतसंहिता' और रसवैशेषिक' के मत बहुत समान है। ऐपी सन्ध्यता है कि सुश्रुतसंहिता में पहले 'उत्तरतंत्र' नहीं था। उसे बाद में प्रति सरकार के अवसर पर नागार्जुन ने जोड़ा था। वाग्भट (4थी शती) ने सुश्रुतमंहिता के उत्तरतत्र सहित संस्करण का उपयोग ही किया था । अरबी में खलीफा हा रूनुल २ सीद के जाल मे (8वीं शती में) जो अनुवाद हुआ था वह भी उत्तरतंत्र सहित का है। अत: तब तक नागार्जुन ने यह प्रतिसंस्कार कर दिय था। ___ डल्हण के समय में यह निश्चित मान्यता प्रचलित थी ‘क नागार्जुन ने ही सुश्रुतसंहिता का अनि संस्कार किया है। प्रतिसंस्कृत सुश्रुतसंहिता में श्रीपर्वत, सह्या, देवगिरि, मलया वन अदि दक्षिण भारत के पर्वतों का उल्लेख मिलता है। चदन के लिए मलयज' शब्द आया है। . प्रसिद्ध नौद्ध दार्शनिक नागार्जुन का मूल स्थान दक्षिण भारत था। वे बहत समय तक श्रीपर्वत औ अमरावती में रहे थे। उनका काल बुद्ध के निर्वाण के चार सौ वर्ष बाद माना गया है ( ह्वनत्सांग ने लिखा है कि गौतम की मृत्यु के बाद 400 वर्ष बाद नागार्जुन हा Beal's 'Buddhist Records', Vol. II, P. 212)। तदनुसार उनका काल ई. पू. 33 निश्चित होता है। वह बौद्ध परम्परा में बुद्ध के बाद 13वां आचार्य और उनका शिष्य आर्यदेव 14वां आचार्य था। 401 ई. म चीनी भाषा में 'कुमार जीव' ने 'नागार्जुन की जीवती' का अनुव द किया था। इससे बौद्ध नागार्जुन की अंतिम कालमर्यादा निर्धारित हो जाती है । बौद्ध नागार्जुन कनिष्क का समकालीन था। 'हनत्सांग' के अनुसार वह 'सोतोपोहो' (सातवाहन) राजा का समकालीन और उसका आश्रित भी था । वह सातवाहन राजा 'शात णि' था या और कोई, यह निश्चित नहीं है । संभव है वह शातकणि । द्वितीय) था जिसने वायुपुराण के अनुसार 56 वर्ष राज्य किया था । इससे नागार्जुन का काल ई.पू. प्रथम शती एवं ईसवीय प्रथम शती के मध्य प्रमाणित होता है। इसी नागार्जुन ने 'सुश्रुत संहिता का प्रति संस्कार' और 'आरोग्यमंजरी' की रचना [ 84 ]
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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