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________________ इनका काल वीरनिर्वाण की ग्यारहवीं शती ( 5वी-6ठी शती ई. ) माना जाता है । सिद्धसेन यह दक्षिण के प्राचीन प्रसिद्ध दिगम्बर आचार्य थे, जिन्होंने 'अगदतंत्र' (विष) और 'भूत विद्या' (उग्रग्रहशमन) पर ग्रंथ लिखा था। यह अब अप्राप्य है । उग्रादित्याचार्य ने 'कल्याणकारक' (प. 20185) में इनका उल्लेख किया है"विषोग्रग्रहशमन विधिः सिद्धसेनैः प्रसिद्धैः ।' अतः इनका काल 8वीं शती से पूर्व का प्रमाणित होता है। इनके काल व स्थान का विशेष परिचय नहीं मिलता है । __ मेघनाद ___ यह दक्षिण की दिगम्बर परंपरा के आचार्य और वैद्यक के विद्वान् थे। इनके द्वारा विरचित 'बालवैद्य' (कौमारभृत्य =बालचिकित्सा) का उल्लेख उग्रादित्याचार्य ने कल्याणकारक (प. 20185) में किया है-'मेघनादै: शिशूनां वैद्य' । अतः इनका काल 8वीं शती से पूर्व का ज्ञाप्त होता है । . सिंहनाद (सिंहसेन) इनके नाम का पाठांतर 'सिंहसेन' मिलता है। इन्होंने 'वाजीकरण' और 'रसायन' पर चिकित्साग्रन्थ लिखा था । ___उग्रादित्याचार्य ने कल्याणकारक (प. 20185) में इनका उल्लेख किया है'वृष्यं च दिव्यामृतमपि कथितं सिंहनादैमुनीन्द्रः ।' वृष्य =वाजीकरण । दिव्यामृत=दीर्घायु देने वाला शास्त्र -रसायनतंत्र । इनका काल 8वीं शती से पूर्व का प्रमाणित होता है । दशरथमुनि यह दक्षिण के दिगम्बर मुनि थे। इन्होंने 'कायचिकित्सा' पर कोई ग्रन्थ लिखा था। यह अप्राप्त है। उग्रादित्याचार्य प्रणीत कल्याणकारक (प. 20185) में इनका पूर्वाचार्य के रूप में उल्लेख हुआ है- 'काये सा चिकित्सा दशरथगुरुभिः' । संभवतः ये उग्रादित्य के गुरु रहे हों। उनके अन्य गुरु, जिनका कल्याणकारक में दो तीन स्थानों पर उल्लेख है, का नाम श्रीनन्दि था। 'आदिपुराण' के कर्ता जिनसेन के दशरथगुरु सतीर्थ (सहपाठी, गुरुभाई) थे। इनके गुरु आचार्य वीरसेन (षट्खंडागमपर 'धवला' और कषायप्राभृत पर 'जयघवला' टीका के रचयिता) हुए । ये - - - - - 1 वीर शासन के प्रभावक प्राचार्य, पृ. 40 । 52 ]
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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