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________________ २० दूसरा भाग। - ६०३५० भाविता आदि आर्यिका २००००० श्रावक ३००००० श्राविकायें (१२) आयुके एक मास शेष रहने तक आपने आर्य खंडमें विहार किया फिर सम्मेद शिखर पधारे । वहां दिव्य ध्वनि होना बंद हुआ और शेष कर्मोका एक माहमें नाश कर वैशाख सुदी प्रतिपदाको आप मोक्ष पधारे। इन्द्रादि देवोंने आकर निर्वाणा, कल्याणकका उत्सव किया। पाठ ११. भगवान् अरहनाथ । (बदारहवें तीर्थकर और सातवें चक्रवर्ति ) (१) भगवान् अरहनाथ तीर्थकर कुंथुनाथस्वामीके मोक्ष जानेके दश भरव वर्ष कम सवा पल्य बाद मोक्ष गये । भगवान् कुंथुनाथके शासनके अंत समयमें धर्म मार्ग बंद रहा। (२) भगवान् अरहनाथ सोमवंश काश्यपगोत्री हस्तिनापुरके राजा मुदर्शनकी महारानी मित्रसेनाके गर्भ में फाल्गुण सुदी तृतीयाको आये । आपके गर्भ में आनेके छह मास पहिलेसे जन्म होने तक पंद्रह मास स्वर्गसे रत्नोंकी वर्षा हुई। माताकी सेवाके लिये देवीया रखी गई । देवोंने गर्भकल्याणक उत्सव मनाया। मानाने पूर्व तीर्थकरोंकी माताओंके समान सोलह स्वम देखे ।
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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