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________________ १२ बृहत्कल्पसूत्रभाष्य : एक सांस्कृतिक अध्ययन पड़ता था।२१ सिंधु नदी के आसपास का एक बड़ा भूभाग जिसके अंदर सौवीर तथा सिणवल्लिनामक रेगिस्तान भी शामिल था।२२ शूरसेन शूरसेन एक महत्त्वपूर्ण जनपद था जिसकी राजधानी मथुरा थी। इसके अन्तर्गत ९६ ग्रामों में लोग अपने-अपने घरों और चौराहों पर जिनेन्द्र भगवान् की प्रतिमा स्थापित करते थे।२३ यहाँ सर्वरत्नमय-स्तूप होने का उल्लेख है, जिसे लेकर जैन और बौद्धों में झगड़ा हो गया था। अन्त में इस पर जैनों का अधिकार हो गया।२४ कोशल जैनसूत्रों में कोशल एक प्राचीन जनपद माना गया है। वैशाली में जन्म लेने के कारण महावीर को वैशलिक कहा जाता था। उसी तरह ऋषभनाथ को कौशलिक (कोसलिय) कहा जाता था। यह अचल गणधर का जन्मस्थान था।२५ कोशल का प्राचीन नाम विनीता भी था इसलिए विनीता को कुशला नाम से भी कहा गया है।२६ यहाँ के निवासी सोवीर (मदिरा) और चावल के काफी शौकीन थे। ___ हेट्ठावणि कोसलगा सोवीरगकूरभोइणो मणुया ।२७ अयोध्या को कोशल, विनीता, इक्ष्वाकुभूमि, रामपुरी और विशाखा नामों से उल्लिखित किया गया है। जिनप्रभसूरि ने घग्घर (घाघरा) और सरयू के संगम पर स्वर्गद्वार होने का उल्लेख किया है। जत्थ घग्घर दहो सरऊनईए समं मिलित्ता सग्गदुवारं ।२८ अंध बृहत्कल्पभाष्य में अंध या आन्ध्र का उल्लेख एक जनपद के रूप में हुआ है। यह एक अनार्य देश था लेकिन संप्रति ने इसे सुर?, द्रविड आदि के साथ जैन श्रमणों का विहार क्षेत्र बनाया।२९ यह जनपद गोदावरी और कृष्णा नदियों के बीच में स्थित था।३० नेमाल (नेपाल) नेपाल में ही प्रमुख गणधर भद्रबाहु दुर्भिक्ष के समय में निवास किये थे।३१ यहाँ पर चोरों का आतंक नहीं था अतः जैन साधुओं के लिये यहाँ कृत्स्नवस्त्र पहनना विहित था।३२ वहाँ के कम्बल प्रसिद्ध थे।२३
SR No.022680
Book TitleBruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrapratap Sinh
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages146
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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