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________________ ७८ श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन ११८. नेमिराजुल बारहमासा (लक्ष्मीवल्लभ) इस काव्य के कुल १४ पद्य हैं जो सभी सवैया छन्द में निबद्ध हैं । गेयात्मकता सराहनीय बन पड़ी है। रचयिता : रचनाकाल नेमि राजुल बारहमासा के रचयिता लक्ष्मी वल्लभ, खरतरगच्छीय शाखा के उपाध्यक्ष लक्ष्मी कीर्ति के शिष्य थे । यह बारहमासा १८ वीं शताब्दी के दूसरे चरण में लिखा गया । ११९. नेमि राजमती जखड़ी (पाण्डे हेमराज) __इस लघु रचना की एक प्रति बुधीचन्द्र जी के मन्दिर, जयपुर गुटका नं० १२४ में है। रचयिता : रचनाकाल विवेच्य कृति के रचनाकार पाण्डे हेमराज हैं । डा० कासलीवाल ने अपनी पुस्तक “कविवर बुलाकीचन्द्र, बुलाकीदास एवं हेमराज" में पाण्डे हेमराज रचित जखड़ी की जिस प्रति का परिचय दिया है उसे त्रिलोक चन्द पटवारी चाकसू वाले ने संवत् १७८२ (सन् १७२५ ई०) में दिल्ली में लिपिबद्ध किया था । १२०. नेमिकुमार चूंदड़ी (मुनि हेमचन्द्र) यह कुल ९ पृष्ठों की लघुकृति है और इसकी पूर्ण प्रति दिगम्बर जैन मन्दिर बड़ा तेरापंथियों के शास्त्र भण्डार के वेष्ठन ९१५ में संकलित है । गीत की टेक है : मेरी सील सूरंगी चूंदड़ी रचयिता : रचनाकाल प्रस्तुत चूंदड़ी के रचयिता मुनि हेमचन्द्र हैं।' १२१. नेमीश्वर रास (नमिचन्द्र वस्तुतः यह एक सुन्दर बारहमासा है और कुल १२ छन्दों में राजुल की व्यथा का हृदयस्पर्शी चित्रण हुआ है। रचयिता : रचनाकाल कवि नेमिचन्द्र ने नेमीश्वर रास की रचना संवत् १७६९ (सन् १७१२ ई०) में की थी । जयपुर वेष्ठन १०७८ से प्राप्त प्रति के अनुसार लेखनकाल सं० १७८२ (सन् १७२५ १. डा. इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "मिशीर्षक हिन्दी साहित्य" लेख, अनेकान्त, अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, , पृ० १३ २. कविवर बुलाखी चन्द्र बुलाकीदास एवं हेमराज, पृ० २२२ ३. द्रष्टव्य - डा. इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य” लेख, अनेकान्त अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, ४. वही, पृ० १३-१४
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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