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________________ ভত तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य ११५. नेमिनाथ का बारहमासा (विनोदीलाल) यह बारहमासा "जैन पुस्तक भवन कलकत्ता" से प्रकाशित है। रचयिता : रचनाकाल इसके कृतिकार विनोदी लाल वि० सं० १७५० (सन् १६९३ ई०) तीर्थङ्कर नेमि के एकनिष्ठ भक्त थे अतः इनकी अनेक रचनाएँ नेमिराजुल से सम्बन्धित है । इनकी कृतियां अत्यधिक लोकप्रिय हुई। विनोदीलाल कृत नेमि ब्याह सुन्दर खण्ड काव्य है । राजुल पच्चीसी २५ छन्दों की लघुकृति है । नेमिनाथ के नव मंगल में ९६ छन्दों में नेमि कथा वर्णित है । नेमि राजुल रेखता उर्दू, फारसी, मिश्रित हिन्दी भाषा की रचना है तथा नेमीश्वर राजुल संवाद में शीर्षक के अनुरूप संवाद शैली में नेमि के वैराग्य पूर्ण उत्तर और विरहणी राजुल के प्रश्न मार्मिक रूप में प्रस्तुत ११६. नेमिनाथाष्टक (भूधरदास) नेमिनाथाष्टक आठ छन्दों की एक स्वतंत्र लघु कृति है, जिसकी प्रति गुटका नं० ३९५ शास्त्र भण्डार श्री महावीरजी में है। रचयिता : रचनाकाल नेमिनाथाष्टक के रचयिता कवि भूधरदास हैं जो अठारहवीं शताब्दी के मूर्धन्य साहित्यकारों में से हैं । कवि भूधरदास ने भूधरविलास नामक पद संग्रह में नेमि राजुल पर अनेक पद लिखे हैं जिनका परिचय डा० प्रेमसागर जैन ने अपनी पुस्तक हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि में दिया है । ११७. नेमिनाथचरित (अजयराज पाटणी) ___ प्रस्तुत काव्य में कुल २६४ पद्य हैं और इसकी सं० १७९८ (१७४१ ई०) में लिपिबद्ध प्रति गुटका नं० १०८ ठोलियों का मन्दिर, जयपुर के शास्त्र भण्डार में प्राप्त है। रचयिता : रचनाकाल इस काव्य के रचयिता अजयराज पाटणी हैं, जिन्होंने सन् १७९.३ ई० में नेमिनाथ चरित्र की रचना की थी । काव्यसृजन की प्रेरणा इन्हें अम्बावती नगर के जिनमन्दिर में स्थापित तीर्थङ्कर नेमिनाथ की मनोज्ञ प्रतिमा को देखकर मिली । १. द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित नमिशीर्षक हिन्दी साहित्य लेख, अनेकान्त अक्तूबर दिसम्बर १९८६ , पृ० २. द्रष्टव्य-हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि-पृ०३. द्र० - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य लेख, अनेकान्त, अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, पृ०
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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