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________________ श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र धर्म - प्रभाव सिद्धान्तों के ज्ञान का अधिकतर मनन करना चाहिए और उसे हर एक प्रसंग पर क्रिया में उपयुक्त करना चाहिए । दुःखदायी प्रसंगों में अपना दुःख कम करने के वास्ते उसे अवश्य ही सन्मुख लेना और धैर्य से दुःख के प्रसंगों को पार करना चाहिए जिस प्रकार एक श्लोक के अर्थ की विचारना से राजकुमारी मलया सुंदरी ने दुःख के महान् समुद्र को पार किया । . एक वृक्ष स्व स्वार्थको तजकर हम पर कितना उपकार कर रहा है। हमसे कैसी मित्रता निभा रहा है। बिना किसी भेदभाव, छाया दे रहा है, पत्थर मारनेवाले को भी फल देता है, पत्ते एवं जड़े, औषधि के रूप में उपयोगी है । उसी के काष्ठ से बने स्टूल, कुर्सी, द्वार, खिड़किया स्तंभादि कितने जीवनोपयोगी साधन हैं। अरे वह साथ में जलकर राख बनने में भी काम आ जाता है, अंतिम समय तक मित्रता को बनाये रखता है। . जैन शासन को समझने वाला आत्मा बाहरी दृश्यों को देखने की अपेक्षा आत्म दर्शन की ओर विशेष प्रयत्नशील रहता है। और जो आत्मा आत्म दर्शन करना चाहता है वही आत्मा आत्म दर्शन कर अति निकट में अपने घर में निवास करता है। - जयानंद 12
SR No.022652
Book TitleMahabal Malayasundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay, Jayanandsuri
PublisherEk Sadgruhastha
Publication Year
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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