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________________ श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र पूर्वभव वृत्तान्त ने अपनी गाड़ी और परिवार को आगे न बढ़ने देकर वहाँ ही ठहरा लिया। ___संसार की विचित्रता का पार नहीं है । जो महापुरुष विषय कषायादि महान् अपमंगलों से दूर हैं, जिनके हृदय में से सांसारिक मलीन वासनायें निकल गयी हैं । जो सदैव ज्ञान ध्यान और आत्मिक विचार में ही लीन रहते हैं । जो विषय लंपट संसार के मनुष्यों को हितोपदेश देकर दुष्कर्म जन्य पापों से रक्षण करते हैं । जो सदा दूसरों का कल्याण करने की चिन्ता किया करते हैं । जिनके दर्शन मात्र से मनुष्यों के संकट दूर हो जाते हैं, ऐसे मंगलमय महात्मा महापुरुषों को देखकर अपशुकन या संकट आने का विचार करना यह कितनी भयंकर अज्ञानता है ? शुभकार्य के लिए घर से निकले मनुष्य को यदि सद्भाग्य से सन्मुख किसी महात्मा पुरुष का दर्शन हो जाय तो इससे बढ़कर और क्या शुभ शुकन हो सकता है ? परन्तु इतनी बात याद रखनी चाहिए कि शुकन को देखकर जैसी मनुष्य की भावना होती है वैसा ही उसे फल मिलता है। अपशुकन की बुद्धि से मार्ग चलते रुक जाना ही सुंदरी के लिए बस न हुआ । वह अनेक प्रकार से उस महात्मा को उपसर्ग करने लगी । क्योंकि क्रोधाधीन स्त्री के लिए संसार में कोई भी कार्य अकर्तव्य नहीं होता । ___मुनि ने अपने ऊपर उपसर्ग आया देख विचार किया कि मेरी परीक्षा का समय आ गया है । जिस प्रकार ताप ताड़न द्वारा सच्चे सुवर्ण की परीक्षा होती है वैसे ही संकटों द्वारा उत्तम पुरुषों की कसौटी होती है । इन अज्ञानियों के किये हुए उपद्रव से अज्ञानता में पड़कर मुझे अपने स्वभाव या स्वरूप से विचलित न होना चाहिए । ऐसे ही समय पर अज्ञानी और ज्ञानवान का भेद मालूम पड़ता है । यदि संकट के समय ज्ञानवान मनुष्य भी अज्ञान प्राणियों के समान अपने स्वरूप को भूल जाय तो फिर उन दोनों में कुछ भी भेद नहीं रहता । उपद्रव के समय समभाव रखने से प्राचीन कर्म को भोग लेने के उपरान्त नवीन कर्मबन्ध भी नहीं होता । इसलिए मुझे अब अपने स्वभाव में रहना चाहिए । यह विचार कर मानसिक वृत्ति को निर्मल रखकर आत्मोपयोग में दत्तचित्त हो वह मुनिराज ध्यानस्थ - कायोत्सर्ग में खड़ा रहा । मुनि को सन्मुख खड़ा देख सुन्दरी का और 216
SR No.022652
Book TitleMahabal Malayasundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay, Jayanandsuri
PublisherEk Sadgruhastha
Publication Year
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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