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________________ श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र आगन्तुक - युवक राजतेज निस्तेज सा हो गया, उसके हृदय में चिंता ने स्थान जमा लिया और मुख से उष्ण तथा दीर्घ निश्वास निकलने लगा । अर्थात् महाराज किसी गूढ़ चिंता के कारण शोक समुद्र में निमग्न हो गये । ठीक इसी समय पर महारानी चंपक माला और द्वितीया रानी कनकवती महाराज के पास आ पहुँची । महारानी चंपकमाला अतिसुंदर रूप लावण्य के उपरांत शीलादि अलंकारों से सुशोभित होने के कारण सारे राजकुटुम्ब पर अपना महारानी पन का अद्वितीय प्रभाव रखती थी । इसीसे महाराज ने उसे पट्टरानी की पदवी से विभूषित किया था । कनकवती भी रूप लवण्य में कुछ कम न थी । इसीलिए वह भी महाराज वीरधवल की प्रिय पत्नी थी। दोनों रानियों के वहां आ जाने पर भी ध्यानमग्न योगी के समान चिंता में एकाग्र हुए महाराज वीरधवल ने उसकी तरफ गर्दन उठाकर देखा तक नहीं । अपने प्रिय पति की ओर से हमेशा की तरह आज कुछ भी आदर मान न मिलने के कारण दोनों रानी घबरा सी गयी । वे व्यग्र चित्त से विचारने लगी कि आज महाराज की हम पर सदा के समान कृपादृष्टि न होने का क्या कारण है? क्या अज्ञानता में हम से पति देव का कोई अपराध हुआ है? आज महाराज हमारी तरफ देखते भी नहीं । इस प्रकार के संकल्प विकल्प की उलझन में उलझी हुई वल्लभाएँ महाराज के नजदीक आयी और द्रवित हृदय तथा नम्र वचन से पतिदेव को प्रार्थना करने लगीं । नाथ! क्या आज हम दासियों से अज्ञानता में आपका कोई अपराध हुआ है? आप इतने उदास क्यों है? थोड़ी देर पहले तो आप दीवानखाने के बरामदे में आनंद से फिर रहे थे और चंद्रावती नगरी की शोभा देख रहे थे । इतने थोड़े ही समय में आप इतने उदास क्यों बने? अगर यह बात इन अपनी सहचारिणियों को मालूम करने लायक हो तो कृपाकर हमें भी अपने दुःख में शामिल करें। अपनी प्रिय वल्लभाओं का शब्द कान में पड़ते ही महाराज की विचार श्रेणी भंग हुई और वे प्रेमगर्भित शब्दों से बोले प्रियवल्लभाओं! आज मैं एक ऐसी चिंता में निमग्न हो गया हूँ कि तुम्हारा आगमन भी मुझे मालूम न हुआ। परंतु इस चिंता का कारण जुदा ही है और तुम्हें भी इसमें हिस्सा लेना होगा। हमारे ही शहर में रहनेवाले एक वणिक पुत्र गुणवर्मा ने अभी मेरे पास आकर
SR No.022652
Book TitleMahabal Malayasundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay, Jayanandsuri
PublisherEk Sadgruhastha
Publication Year
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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