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________________ श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र दुःखों का अन्त सम्मति हो तो मैं उसे पूरी शिक्षा कर दूँ । मैंने कहा आपकी सहायता से मैं उसका कार्य पूर्ण करूँ तथापि वह अपने दुष्ट अभिप्राय से बाज़ न आवे तो फिर आपको जो उचित मालूम दे सो करें । व्यंतर देव ने मेरी बात मंजूर करली और कहा यह तो मैं करूँगा ही परन्तु और भी आपको कभी कोई असाध्य कार्य करना पड़े तो आप अवश्य ही मुझे याद करें । याद करते ही सेवक के समान मैं आपकी सेवा में आकर आपकी इच्छानुसार सहाय करूँगा । यों कहकर वह किसी जगह से एक करंडिया ले आया और उसमें पके हुए सुन्दर फल भरकर करंडिये सहित वह मुझे इस शहर के उद्यान में ले आया । "कुमार ! इस करंडिये को लेकर तुम राजा के पास चलो; मैं भी अदृश्य होकर तुम्हारे साथ ही चलता हूँ और वहाँ पर जैसा उचित होगा वैसा किया जायगा, यों कहकर वह अदृश्य हो गया । मैं फलों का करंडिया राजसभा में रखकर इस समय तुम्हारे पास आया हूँ । प्रिये ! अब घबराने की आवश्यकता नहीं है । मुझे विश्वास है इस देव की सहाय से अब हमारे शीघ्र ही संकट दूर होंगे। " 1 महाबल जिस समय अपनी प्रिया के साथ अपने दुःख - सुख की बातें कर रहा था; उस समय राजसभा में रखे हुए उस आम्रफलों के करंडिये में से यह भयानक शब्द निकलने लगा "राजा को खाऊँ या मंत्री को, करंडिये से निकलते हुए बार - बार इस भयानक शब्द को सुनकर राजा भयभ्रान्त हो गया और वह लोगों की तरफ देखकर बोला - सचमुच ही यह सिद्धराज कोई चमत्कारिक पुरुष मालूम होता है; अन्यथा ऐसे दुष्कर कार्य भी लीलामात्र से किस तरह कर आवे? संभव है हमारा सर्वनाश करने के लिए वह इस करंडिये में आम्रफलों के बहाने कोई विभीषिका ले आया है । इस प्रकार राजा को भयभीत हुआ देख जीवा मंत्री हँसते हुए बोल उठा - महाराज ! इस तरह डरने से काम न चलेगा। ऐसे तो बहुत ही धूर्त फिरते हैं । क्या हम इससे डर जायेंगे ? यदि ऐसी छोटी छोटी बातों से भयभीत होने लगें तब फिर राज्यकार्य किस तरह चल सकता है? इस तरह बोलते हुए प्रधान ने उठकर करंडिये की तरफ हाथ लंबाया । राजा ने उसे बहुत मना किया कि मंत्री ! ठहरो इस कार्य में हमें बल दिखाने की जरुरत नहीं है । तुम उस करंडिये के पास न जाओ । परन्तु "विनाशकाले 188
SR No.022652
Book TitleMahabal Malayasundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay, Jayanandsuri
PublisherEk Sadgruhastha
Publication Year
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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