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________________ श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र कठिन परीक्षा की शाखा पर जा लटका । योगी बोला – 'राजकुमार! मालूम होता है मंत्र साधना में कहीं पर मुझ से भूल हुई है। इसी कारण मंत्रसिद्ध नहीं हुआ और मृतक भी उड़कर चला गया । अब आगामी रात्रि में फिर से मंत्रसाधन करना पड़ेगा। इसीलिए मुझ पर कृपाकर आने वाली रात्रि तक आप यहां ही रहें । परोपकारी राजकुमार! आपकी सहाय बिना मेरा मंत्र सिद्ध होना अशक्य है । मुझे पूर्ण विश्वास है आप मेरी इस प्रार्थना को अवश्य ही मंजूर करेंगे । योगी के अत्यन्त आग्रह से और कुछ परोपकार की प्रेरणा के कारण अपनी परिस्थिति को भूलकर दूसरी रात में भी उसकी मंत्रसिद्धि में उत्तर साधक बनना मैंने मंजूर कर लिया। भय के कारण योगी मुझ से बोला - 'कुमार! आपको मेरे पास रहा हुआ देख राजपुरुष या अन्य कोई मनुष्य यह शंका करेगा कि इस योगी ने राजकुमार को किसी छल प्रपंच से अपने स्वाधीन किया हुआ है । अतः इसे मारकर राजकुमार को छुड़ा लें, अन्यथा कुमार को साथ लेकर यह योगी अन्यत्र चला जायगा । इत्यादि कई कारणों से मुझ पर आपत्ति आने का संभव है । इसीलिए यदि तुम्हारी मर्जी हो तो सूर्य अस्त तक विद्याबल से मैं तुम्हारा रूप परिवर्तन कर दूं। पिताजी! मैंने योगी का कथन स्वीकार लिया, मेरे पास से यह लक्ष्मीपूंज हार न चला जाय यह सोचकर मैंने उसे अपने मुख में डाल लिया । योगी ने जंगल में से एक जड़ी लाकर उसे मंत्रित कर, मेरे मस्तक पर उसका तिलक किया, उसके प्रभाव से काजल से भी अधिक काला और देखने मात्र से भयंकर रूपवाला मैं एक दीर्घकाय सर्प बन गया । मुझे रहने के लिए नजीक में ही उसने एक गुफा बतलाकर वह स्वयं किसी कार्य के लिए अन्यत्र चला गया। पवन का पान करते हुए जब मैं दुपहरी में उस गुफा में समय बिता रहा था तब सर्प की खोज करते हुए वहां पर कई एक सपेरे आ पहुंचे। उन्होंने मंत्रबल से स्तंभितकर मुझे पकड़ कर एक घड़े में डाल दिया । और यक्ष के मंदिर में आपके पास ला रखा । आपने उस नवीन पुरुष को दिव्य करने के लिए (परीक्षादेने के लिए) आज्ञा दी । उसने भी निर्भीक हो मुझे पकड़कर घड़े से बाहर निकाला; उसे देखकर मैंने पहचान लिया, इसलिए अपने मुख में से हार निकालकर मैंने उसके 129
SR No.022652
Book TitleMahabal Malayasundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay, Jayanandsuri
PublisherEk Sadgruhastha
Publication Year
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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