SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नम्र निवेदन । पाठकगण__ मेरा बहुत दिनसे विचार था कि इस पुस्तकका अन्वयार्थ लिख कर छात्रोंके लिए अर्पण करूं किन्तु बहुतसी असुविद्याओंके कारण मैं कृतकार्य नहीं हो सका भाग्योदयसे इस वर्ष सफस्ति हो सका हूं । यद्यपि यह कार्य विद्वानोंकी दृष्टिंमें उपादेय नहीं हैं तथापि इससे जैन समानके संस्कृत पिपठिषु छात्रोंका उपकार अवश्य होगा। ____ मुझे ८ वर्षसे इसका अनुभव है कि छात्रोंको कितनी ही बार इसका अन्वयार्थ समझाया जाता है किन्तु वो फिर भी संक्षिप्त कथाके कारण भूल जाते हैं इससे ऐसे छात्रोंका बहुत ही उपकार होगा। प्रेसके दूर होनेके कारण पुस्तकमें अशुद्धियां बहुत रह गई हैं अतएव पाठकगण शुद्धिपत्रसे अशुद्धियां ठीक कर पढ़नेकी कृपा करें। भवदीयनिडामल मैत्तल।
SR No.022644
Book TitleKshatrachudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiddhamal Maittal
PublisherNiddhamal Maittal
Publication Year1921
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy