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________________ मुनिओमां प्रभुरूप एवा श्रीमान् धनेश्वरसूरी थया के जेमणे लोकोमां रूपमां अने वचनमां जयपत्र प्राप्त कर्तुं हर्तुं एटले के जेओ अति रूपवान् अने जबरा व्याख्याता हता. ४ विजयसिंहसूरि थया के जेमणे सर्वत्र विद्वज्जनोना मनरूपी समुद्रमां स्वसरस्वती वडे प्रिय समागम कर्यो हतो. ५ तंद्रा प्रमाण रहित एवा देवेन्द्रसूरी थया के जेना मुखरूपी मंडळमां कवित्वरूपी लक्ष्मी वक्तृत्वरूपी संपद्नी साथे विलास करती हती एटले के जेओ कवि तेमज वक्ता हता. ६ पछी विजयसिंहसूरिना शिष्य श्रीवर्धमानसूरीए गुरुनी आज्ञाथी गच्छनुं यामिकपदरक्षकपद धारण कर्यु. ७ जेमांथी वचननो भानु भव्यरूपी कमलोने खीलवतो हतो तेवा उदयगिरि होय नहि एवा श्रीमान् उदयप्रभ प्रसन्न थाओ. ८ आ गुरुक्रममां-गुरुपरंपरामां भक्तिमान् एवो, दुष्कर्म जेणे निवार्यां छे एवो, धर्मरूपी समुद्रमां चंद्रसमान एक विद्वान् वाधू नामनो गल्लककुलमां थयो के जेणे संगमखेटकमां महावीर प्रभुनुं चैत्य कराव्युं अने तेने माटे सो हळ जेटली जमीन चतुर्वाटी (चार वाडी) सहित आपी. तेनो पुत्र पापनुं मर्दन करनार एवो कप्यर्दी थयो के जेणे वटसर नामना गाममां युगादिदेवनुं (आदिनाथनुं) चैत्य कराव्युं, तेनो पुत्र मंगलना स्थानरूप आंबा जेवो आम्रदेव थयो अने तेने साक्षात् पुण्यलक्ष्मी जेवी राणुका नामनी स्त्री हती, तेनो पुत्र देवचंद्र थयो के जे धर्मकार्यमां अप्रमत्त हतो अने जे शीलवंतने पद्मिनी जेवी पद्मिनी नामनी पोताने घेर स्त्री हती. ते बंनेथी जेम भव्य जीव अने तम:शुद्धि ए बनेथी धर्मना (चार) भेद रूप जन्म पामे छे तेवी रीते चार पुत्रो विश्वने आह्लाद आपनारा थया. ते पैकी ज्येष्ठ श्रीमान् अम्बड सचिवोमां मुख्य थयो, बीजो पुत्र विवेकमां अद्वितीय एवो जह्नण थयो, त्रीजो ज्ञातिभूषण एवो श्रीमान् आह्लादन दंडनायक थयो अने चोथो धर्मना धोरीओमां मुख्य एवो प्रह्लादन मंत्री थयो. ९-१६ आ चारमांथी श्रीमद् अंबड मंत्रीनो स्वर्गवास थया पछी आह्लादन विशेषपणे धर्मघोरी थयो के जेनी कीर्त्तिनो विस्तार थारापद्र (थराद) नामना स्थानक - शहेरमांथी जन्मी न्यायधर्मरूपी अमृतथी सिंचाइने विश्वना मांडवामां फेलायो. तेणे श्रीसत्यपुरमां (साचोरमां ) वीरना प्रासादमां नाभिनंदन - आदिनाथने, थारापद्र (थराद) मां आदिनाथना चैत्यमां श्रीपार्श्वचन्द्रप्रभचरित्रम्, पूर्वप्रकाशननी प्रस्तावना । 15
SR No.022638
Book TitleChandraprabh Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHitvardhanvijay
PublisherKusum Amrut Trust
Publication Year1930
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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