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________________ सन्धान महाकाव्य : इतिहास एवं परम्परा से स्पष्ट है कि कवि जगन्नाथ रसगंगाधर के कर्ता जगन्नाथ से भिन्न हैं । निस्सन्देह कवि जगन्नाथ संस्कृत भाषा के प्रौढ़ पण्डित हैं और उनकी कवित्वशक्ति भी अपरिमित है । टीका के प्रारम्भ में मंगलाचरण करते हुए लिखा है प्रणम्याङ्घ्रियुग्मं जिनानां जगन्नाथपूज्यामिपाथोरुहाणाम् । वरैकाक्षरार्थैर्महायुक्तियुक्तैः सुवृत्तिं च तेषां नुतेश्चर्करीमि ।। वाग्देवतायाश्चरणाम्बुजद्वयं स्मरामि शब्दाम्बुधिपारदं वरम् । यन्नाममात्रस्मरणोत्थयुक्तयो हरन्त्यद्यं कोविदमानसीमिति ॥२ अठारहवीं शती के महोपाध्याय मेघविजय की रचना सप्तसन्धान (सं. १७६०) भी अनुपम है। यह काव्य नौ सर्गों में लिखा गया है। प्रत्येक श्लेषमय पद्य से ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व और महावीर–पाँच तीर्थंकर, राम तथा कृष्ण इन सात महापुरुषों के चरित्र का अर्थ निकलता है। इसी शती में हरिदत्त सूरि ने दो सर्गों का राघवनैषधीय नामक काव्य लिखा । इसमें राम और नल की कथा गुम्फित है। उपर्युक्त काव्यों के अतिरिक्त सन्धान-विधा में कतिपय स्तोत्र भी उपलब्ध होते हैं। श्री अगरचन्द नाहटा ने सन्धान-शैली के स्तोत्रों में ज्ञानसागर सरि रचित नवखण्डपार्श्वस्तव, सोमतिलकसरिरचित विविधार्थमय सर्वज्ञस्तोत्र, रत्नशेखर . सूरिरचित नवग्रहगर्भित पार्श्वस्तवन तथा पार्श्वस्तव मेघविजय रचित पंचतीर्थीस्तुति, समयसुन्दर रचित व्यर्थ-कर्णपार्श्वस्तव आदि का नामोल्लेख किया है। निष्कर्ष इस प्रकार प्रस्तुत अध्याय में संस्कृत महाकाव्य परम्परा की पृष्ठभूमि में सन्धानात्मक काव्य-विधा के उद्भव और विकास पर विचार किया गया है। विश्वजनीन महाकाव्य-प्रवृत्ति के सन्दर्भ में महाकाव्य-परम्परा सामूहिक नृत्य-गीत, आख्यानक नृत्य-गीत, लोकगाथा तथा गाथाचक्र आदि विभिन्न अवस्थाओं से विकसित हुई है । विश्व के समस्त देशों में इन अवस्थाओं से सम्बद्ध नृत्य-गीत आज भी उपलब्ध होते हैं। भारतीय सन्दर्भ में भी वैदिक संवाद-सूक्त लोकगाथाओं के रूप में तथा वैदिक सुपर्णाख्यान आदि गाथाचक्र के रूप में देखे १. नेमिचन्द्र शास्त्रीः संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान,पृ.४२ २. चतुर्विंशतिसन्धान-काव्य,१-२
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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