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________________ सन्धान-महाकाव्य : इतिहास एवं परम्परा १७ पुराणोचित वैशिष्ट्ययुक्त विकसनशील महाकाव्यों से स्रोत ग्रहण कर अनुप्राणित एवं विकसित होने वाले महाकाव्यों को अलंकृत महाकाव्यों की कोटि में रखा जा सकता है। भारतीय महाकाव्य साहित्य का यदि शिल्प - वैधानिक दृष्टि से विश्लेषण किया जाये तो उसमें वर्णित कथ्य एवं उसकी प्रवृत्ति से सम्बन्धित तत्त्व उसे विभिन्न विधाओं में विभक्त कर देते हैं । इस दृष्टि से महाकाव्य साहित्य को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है (१) पौराणिक शैली के महाकाव्य I महाकाव्य और पुराण का उद्भव और विकास समानान्तर रूप से हुआ है और प्रारम्भ में दोनों का रूप परस्पर मिश्रित था । महाभारत इसका उदाहरण है, इतिहास-पुराण भी है तथा महाकाव्य भी । वस्तुत: महाकाव्य पुराणों के ही परिष्कृत, अलंकृत और अन्वितियुक्त कलात्मक रूप हैं । काव्यशास्त्रियों ने भी महाकाव्य के कथानक का इतिहास-पुराण तथा कथा से उद्भूत होना आवश्यक माना है । श्रीमद्भागवत प्रभृति पुराणों में काव्यात्मकता पर्याप्त मात्रा में वर्तमान है । विन्टरनित्ज़ का कथन है कि भागवत भाषा, शैली, छन्द और कथा की अन्विति... सभी दृष्टियों से एक महत्त्वपूर्ण कृति है । १ भागवत पुराण और महाभारत की शैली से प्रभावित होकर जिन महाकाव्यों में पौराणिक आख्यानों को कथानक बनाया गया है, वे पौराणिक शैली के महाकाव्य हैं । जैनों ने महाभारत और पुराणों के अनुकरण— पृथक् पुराणों की रचना की; इन्हीं जैन पुराणों से स्रोत ग्रहण कर जैन कवियों ने पौराणिक महाकाव्यों की सर्जना की। पौराणिक शैली से अभिप्राय है कि उसमें पौराणिक-धार्मिक आख्यान होते हैं, कथानक में अन्विति कम होती है, १. long interval of time, by a number of kavyas, ranging from the fifth to the twelth century. " Macdonell, A.A.: A History of Sanskrit Literature, London, 1913, p.326. “Moreover, It is the one purana which, more than any of others bears the stamp of an unified composition and deserves to be appreciated as a literary production on account of its language style and metre. " Winternitz : A History of Indian Literature, Vol.I, Calcutta, p.556.
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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