SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना विकसनशील महाकाव्य विकसनशील महाकाव्य Epicof Growth, AuthenticEpic,२ Folk Epic,३ Heroic Epic' आदि नामों से प्रसिद्ध है। डॉ. श्यामशंकर दीक्षित ने इसका ‘संकलनात्मक महाकाव्य' नाम से उल्लेख किया है। इसके अतिरिक्त इसका 'प्रारम्भिक महाकाव्य' तथा 'प्राकृतिक महाकाव्य नामों से भी उल्लेख मिलता है। चिरकाल तक विकसित और परिष्कृत होते हुए गाथाचक्र ही विकसनशील महाकाव्य का रूप ग्रहण कर लेते हैं। प्रत्येक जाति और देश में समय-समय पर नये वीर और नयी घटनाएं होती रहती हैं । अतएव, या तो पुराने वीरों की कथा नये वीरों की कथा को आत्मसात कर लेती थी अथवा नये वीरों के सम्बन्ध में ही पुराने वीरों की बहुत-सी बातें प्रचलित हो जाती थीं। दोनों ही अवस्थाओं में अन्य गाथाओं, कथाओं, घटनाओं, वर्णनों का इस प्रकार संयोजन तथा संग्रह होता है कि कालान्तर में गाथाचक्र के मूल रूप को ढूंढ निकालना असम्भव हो जाता है । इस प्रकार प्रारम्भिक गाथाओं से गाथाचक्रों और गाथाचक्रों से विकसनशील महाकाव्य का विकास होता है । इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि विकसनशील महाकाव्यों का निर्माण एक कवि द्वारा न होकर, एकाधिक कवियों द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त ये किसी युग विशेष की रचना नहीं, अपितु विविध युगों में विकास को. प्राप्त होकर अन्तिम रूप ग्रहण करते हैं। १. हिन्दी साहित्य कोश,भाग १,पृ. ५७९ २. वही,तथा-Siddhanta, N.K. : The Heroic Age, p.70. 3. Watt, H.A. and Watt, W.W. : A Dictionary of English Literature, New York, 1952, p.355. ४. Siddhant, N.K. : The Heroic Age, p.70. ५. डॉ.श्यामशंकर दीक्षित : तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी के जैन-संस्कृत-महाकाव्य,जयपुर, १९६९,पृ.४९ ६. हिन्दी साहित्य कोश,भाग १,पृ.५७८ ७. वही,पृ.५७९ ८. डॉ.शम्भूनाथ सिंह : हिन्दी महाकाव्य का स्वरूप-विकास,बनारस,१९६९,पृ.१ ९. Ker, W.P. : Epic and Romance, New York, 1957, p.13.
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy