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________________ द्विसन्धान-महाकाव्य का सांस्कृतिक परिशीलन ७. नट अभिनय आदि कार्य करने वाले राजकीय पुरुष नट कहलाते थे । द्विसन्धान में नट, गाथक, सूत आदि की कला के प्रदर्शन का उल्लेख आया है । २ ८. सूतरे राजा की स्तुति में काव्यात्मक प्रशस्ति गाने वाला व्यक्ति । ४ ९. नर्तक राजकीय समारोहों में ‘नर्तकी' नृत्य आदि कार्य करती थी । १०. परिचारिकाएं परिचारिकाओं की नियुक्ति राजा-रानियों की सेवा-सुश्रुषा के लिये अन्त:पुर में की जाती थी । द्विसन्धान में पचास वर्ष की बूढ़ी परिचारिकाओं का उल्लेख आया है । ६ इनके अतिरिक्त द्विसन्धान में गजारोही," अश्वारोही,' साईस' आदि कर्मचारियों का उल्लेख भी प्राप्त होता है । युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था सातवीं-आठवीं शती के उपरान्त का भारतीय इतिहास छोटे-बड़े युद्धों से भरा पड़ा है। अतएव युद्धों से अराजकतापूर्ण राजनीतिक वातावरण में सामन्त-पद्धति का उत्तरोत्तर विकास हुआ और उनका स्वार्थ केवल अपने-अपने राज्यों की सुरक्षा मात्र रह गया। इस पृष्ठभूमि में सम्भवत: द्विसन्धान की रचना हुई । द्विसन्धान में युद्ध का मुख्य कारण प्रतिपक्षी राजा द्वारा अन्य राजा की पत्नी २३१ १. २. ३. वही, ४.२२,५.५६ 'सूता नृपाणां युधि नामधेयं वृत्तं निपेठुः कृतवृत्तबन्धम् ।', वही, ५.५६ वही, १.३० 'पुरन्ध्रयः पञ्चाशदुत्तीर्णदशा', वही, ३.१५ वही, ४.३७ सि., १.१८, ४.२२ ‘नटगाथकसूतसूनवः पटवः पेठरूपेत्य मंगलम्', वही, ४.२२ ४. ५. ६. ७. ८. वही ९. वही, १.१६
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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