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________________ २१४ सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना षड्विध बल द्विसन्धान-महाकाव्य में राज्य के षड्विध बल का शत्रु-निवारण के लिये विशेष महत्व दर्शाया गया है । नेमिचन्द्र ने 'पद-कौमुदी टीका' में षड्विध-बल को स्पष्ट करते हुए छ: प्रकार की सेनाओं का उल्लेख किया है- (१) मौल, (२) भृतक,(३) श्रेणी, (४) आरण्य,(५) दुर्ग तथा (६) मित्र । डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री महोदय द्वारा षड्विध बल को सैनिक भरती का स्रोत माना गया है, अत: उसका उल्लेख 'सैनिक शक्ति के सन्दर्भ में किया गया है। डॉ. मोहन चन्द द्वारा षड्विध बल को शासन-तन्त्र सम्बन्धी शक्ति अथवा बल माना गया है, जिससे कि राज्य सुदृढ़ हो सके। कारण यह है कि 'श्रेणी' बल के अन्तर्गत उन अठारह तत्त्वों को स्वीकार किया गया है, जिनकी सैन्य बल की अपेक्षा राज्य-व्यवस्था एव संगठन की दृष्टि से अधिक उपादेयता है । टीकाकार नेमिचन्द्र के आधार पर षड्विध बल को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है(१) मौल-वंशपरम्परागत क्षत्रियादि सेना ।" (२) भृतक- पदाति सेना अथवा वेतन के लिये भरती हुई सेना । (३) श्रेणी- सेनापति, गणक, राजश्रेष्ठी, दण्डाधिपति, मन्त्री, महत्तर, तलवर, चतुर्वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र), चतुरंगिणी सेना (पदाति, अश्व, गज तथा रथ), पुरोहित, अमात्य तथा महामात्य । पी. वी. काणे ने व्यापारियों या अन्य जन-समुदायों की सेना को 'श्रेणी बल' कहा है।८ १. द्विस, २.११ २. 'तच्च मौलभृतकश्रेण्यारण्यदुर्गमित्रभेदम्',द्वि.स,२.११ पर पद-कौमुदी टीका,पृ.२७ ३. डॉ.नेमिचन्द्र शास्त्रीः संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान,पृ.५३२ ४. डॉ.मोहन चन्द :जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज पृ.७३ ५. 'मौलं पट्टसाधनम्',द्विस.,२.११ पर पद-कौमुदी टीका,पृ.२७ तु. डॉ.नेमिचन्द्र शास्त्रीः संस्कृत काव्य के, पृ.५३२ 'भृतकं पदातिबलम्',द्विस,,२.११ पर पद-कौमुदी टीका,पृ.२७ तु.- डॉ.नेमिचन्द्र शास्त्री : संस्कृत काव्य के.,पृ.५३२ ७. 'श्रेणयोऽष्टादशः सेनापतिः, गणकः, राजश्रेष्ठी, दण्डाधिपतिः, मन्त्री, महत्तरः, तलवरः, चत्वारो वर्णाः,चतुरङ्गबलम्,पुरोहितः, अमात्यो,महामात्यः द्विस.,२.११ पर पद-कौमुदी टीका,पृ.२७ तथा तु.- डॉ.नेमिचन्द्र शास्त्री : संस्कृत काव्य के.,पृ.५३२ ८. पी.वी.काणे : धर्मशास्त्र का इतिहास,भाग २,पृ.६७७
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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