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________________ १०८ सन्धान- कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना गया है ।' राम / कृष्ण चतुरोदात्त नायक है । रुद्रट द्वारा गिनाये नायकोचित गुणों को राम / कृष्ण में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । १३. प्रतिनायक रुद्रट के अनुसार नायक की भाँति प्रतिनायक भी महाकाव्य में आवश्यक है । उनके अनुसार प्रतिनायक के कार्य-कलाप ऐसे होने चाहिएं, जिनसे नायक की क्रोधाग्नि भड़क उठे और वह प्रतिनायक पर आक्रमण कर दे । प्रतिनायक को भी वीरतापूर्वक नायक का सामना करते हुए दिखाना चाहिए । द्विसन्धान - महाकाव्य नायक राम / कृष्ण की भाँति प्रतिनायक रावण / जरासन्ध का भी कुशल चित्रण हुआ है। प्रतिनायक रावण द्वारा सीता का अपहरण अथवा प्रतिनायक जरासन्ध का जाली पासों द्वारा द्यूतक्रीडा में कौरवों का सहयोग' आदि कार्य ऐसे हैं, जिनसे क्रोधित होकर नायक राम या कृष्ण प्रतिनायक रावण या जरासंध पर आक्रमण कर देता है ।५ प्रतिनायक रावण/ जरासंध भी नायक राम / कृष्ण का वीरतापूर्वक सामना करता है । ६ १४. गौण- पात्र नायक व प्रतिनायक के अतिरिक्त महाकाव्यों में भी गौण पात्र होते हैं । भामहु, दण्डी' तथा रुद्रट' प्रभृति काव्यशास्त्रियों ने मन्त्र - दूत- प्रयाण आदि की चर्चा आवश्यक बतायी है। अभिप्राय यह है कि महाकाव्य में मन्त्री, दूत, सैनिक, सेनापति आदि को गौण पात्र संज्ञा से अभिहित किया जाता है । १० १. २. द्विस., १८.१०५ 'प्रतिनायकमपि तद्वत्तदभिमुखमृष्यमाणमायान्तम् । अभिदध्यात्कार्यवशान्नगरीरोधस्थितं वाऽपि ॥' का. रु., १६.१६ द्विस.,७.९०-९३ वही, ७.२१,९०-९३ ३. ४. ५. वही, ९.७-१० ६. वही, १७.१-६ ७. का. भा., १.२० ८. काव्या., १.१७ ९. का. रु., १६.१२ १०. श्यामशंकर दीक्षित : तेहरवीं चौदहवीं शताब्दी के संस्कृत जैन महाकाव्य, पृ. २५
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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