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________________ विवागमयांस [१८१तए णं से पूसनन्दी राया सिरीए देवीए मायाभत्तए यावि होत्था । कल्लाकलिं जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ, २ सिरीए देवीए पायवडणं करेइ, २ सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अभिङ्गावेइ,अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउविहाए संवाहणाए संवाहावेइ, २ सुरभिणा गन्धवट्टएणं उव्वट्टावेइ,२ तिहिं उदएहिं मजावेइ, तं जहाउसिणोदएणं सीओदएणं गन्धोदएणं, २ विउलं असणं ४ भोयावेइ, २ सिरीए देवीए हायाए जाव पायच्छित्ताए जिमियभुत्तुत्तरागयाए तए णं पच्छा पहाइ वा भुञ्जइ वा, उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुञ्जमाणे विहरह ॥१८१॥ .' तए णं तीसे देवदत्ताए देवीए अन्नया कयाइ पुन्यरत्ताघरत्तकालसमयंसि कुडुम्बजागरियं जागरमाणीए इमेयारूवे अन्भत्थिए ५ समुप्पन्ने-" एवं खलु पूसनन्दी राया सिरीए देवीए माइभसे जाव विहरइ । तं एएणं वक्खेवेणं नो संचाएमि अहं पूसनन्दिणा रन्ना सद्धिं उरालाई ... भुञ्जमाणी विहरित्तए । तं सेयं खलु मम सिरिं देविं अग्गिपओगेण वा सत्थप्पओगेण वा विसप्पओगेण वा मन्तप्पओगेण वा जीवियाओ ववरोवित्तए, २ पूसनन्दिणा रन्ना सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुञ्जमाणीए विहरित्तए" एवं संपेहेइ, २ सिरीए देवीए अन्तराणि य ३ पडिजागरमाणी विहरह ॥१८२॥ तए णं सा सिरी देवी अन्नया कयाइ मजाइया विरहियसयणिजंसि सुहपसुत्ता जाया यावि होत्था । इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ, २ मजाइयं
SR No.022613
Book TitleVivag Suyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherP L Vaidya
Publication Year1935
Total Pages198
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_vipakshrut
File Size12 MB
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