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________________ ११९] नन्दिवद्धणे १७ याओं, अप्पेगइयाओ तउयभरियाओ, अप्पेगइयाओ सीसगभरियाओ, अप्पेगइयाओ कलकलभरियाओ, अप्पेगइयाओ खारतेल्लभरियाओ, अगणिकायंसि अहहिया चिट्ठन्ति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे उट्टियाओ अप्पेगइ याओ आसमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ हत्थिमुत्तभरियाओ,अप्पेगइयाओ गोमुत्तभरियाओ, अप्पेयश्याओमहिस मुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ उट्टमुत्तभरियाओ, अप्पेगर याओ अयमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ एलमुत्तभरियाओ बहुपडिपुण्णाओ चिट्ठन्ति । तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे हत्थण्डयाण य पायण्डयाण य हडीण य नियलाण य संकलाण य पुजा निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठन्ति । तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिश्चालयाण य छियाण य कसाण य वायरासीण य पुजा निगरा चिट्ठन्ति । तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कणगराण य पुञ्जा निगरा चिट्ठन्ति । तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे तन्ताण य वरत्ताण य वागुरयाण य वालयसुत्तरजूण य पुजा निगरा चिट्ठन्ति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे असिपत्ताण करपत्ताण य खुरपत्ताण य कलम्बचीरपत्ताण य पुजा निगरा चिट्ठन्ति । तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे लोहखीलाण य 9 The original reading in the Ms. before the Com. seems to be 'तए णं से'. He rightly remark : तए णं से एतस्य स्थाने तस्स णं ति मन्यामहे, एतस्यैव संगतत्वात्पुस्तकान्तरे दर्शनाच.
SR No.022613
Book TitleVivag Suyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherP L Vaidya
Publication Year1935
Total Pages198
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_vipakshrut
File Size12 MB
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