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________________ 72 श्रीमद्भगवतीसूत्रम् अद्देसीओदगं वा तह बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ। एयाइं जाणं पडिसेवमाणा अगारिणो अस्समणा भवन्ति ॥ ८॥ सिया य बीओदग इत्थियाओ पडिसेवमाणा समणा भवंतु । अगारिणो वी समणा भवंतु सेवंति ऊ तं पि तहप्पगारं॥९॥ जे यावि बीओदगभोइ भिक्खू भिक्खं विहं जायइ जीवियट्ठी। ते नाइसंजोगमविप्पहाय कायोवगा णंतकरा भवंति ॥१०॥ गोसालेइमं वयं तु तुम पाउकुव्वं पावाइणो गरिहसि सव्व एव । अद्देपावाइणो पुढो पुढो किट्टयन्ता सयं सयं दिट्ठि करेन्ति पाउ ॥११॥ ते अन्नमन्नस्स उ गरहमाणा अक्खंति भो समणा माहणा य। सओयअत्थी असओय नत्थि गरहामु दिह्रिन गरहामु किंचि॥१२॥ न किंचि स्वेणऽभिधारयामो सदिट्टिमग्गं तु करेमु पाउं। मग्गे इमे किट्टिए आरिपहिं अणुत्तरे सप्पुरिसेहि अंजू ॥१३॥ उहूं अहेयं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा। भूयाहिसंकाभि दुगुंछमाणा नो गरहइ बुसिमं किंचि लोए॥१४॥ गोसालेआगन्तगारे आरामगारे समणे उ भीए न उवेइ वासं। दक्खा हु संती बहवे मणुस्सा ऊणाइरित्ता य लवालवा य ॥ १५ ॥ मेहाविणो सिक्खिय बुद्धिमंता सुत्तेहि अत्थेहि य निच्छयना। पुच्छिसु मा णे अणगार अन्ने इइ संकमाणो न उवेइ तत्थ ॥ १६ ॥
SR No.022609
Book TitleBhagwati Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherGodiji Jain Temple and Charities
Publication Year1954
Total Pages90
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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