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________________ ॥ प्रथमं परिशिष्टम् ॥ [श्रीमत्सूत्रकृताङ्गे द्वितीयः श्रुतस्कन्धः षष्ठं अध्ययनम् ] गोसालेपुराकडं अद्द इमं सुणेह मेगन्तयारी समणे पुरासी। से भिक्खुणो उवणेत्ता अणेगे आइक्खपण्हि पुढो वित्थरेणं ॥१॥ साजीविया पट्ठवियाथिरेणं सभागओ गणओ भिक्खुमज्झे। आइक्खमाणो बहुजनमत्थं न संधयाई अवरेण पुव्वं ॥२॥ एगन्तमेवं अदुवा वि एण्हि दोवन्नमन्नं न समेइ जम्हा । अद्देपुत्विं च एपिंह च अणागयं वा एगन्तमेवं पडिसंधयाइ ॥३॥ समिच्च लोग तसथावराणं खमंकरे समणे माहणे वा। आइक्खमाणो वि सहस्समज्झे एगंतयं सारयई तहच्चे ॥४॥ धम्मं कहंतस्स उ नत्थि दोसो खंतस्स दंतस्स जिइंदियस्स। भासाय दोसे य विवज्जगस्स . गुणे य भासाय निसेवगस्स ॥५॥ महव्वए पंच अणुव्वए य तहेव पंचासव संवरे या विरई इह स्सामणियम्मि पुण्णे लवावसकी समणे त्ति बेमि ॥६॥ गोसालेसीओदगं सेवउ बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ। एगन्तचारिस्सिह अम्ह धम्मे तवस्सिणो नाभिसमेइ पावं ॥७॥
SR No.022609
Book TitleBhagwati Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherGodiji Jain Temple and Charities
Publication Year1954
Total Pages90
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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