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प्रास्ताविक
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श्री अरिहंत परमात्मा श्री महावीरदेवना शासनमा विद्यमान पीस्तालोश आगमोमां दश पयन्ना छे. तेमां तन्दुलवेयालीय पयन्नो पण छे प्रभु महावीरना हस्तदिक्षित शिष्य या प्रत्येक बुद्ध महात्मा पयन्ना रचे छे. तीर्थकर ना हस्तदिक्षित पू० मुनिराजे आ तन्दुलवैचारिक-प्रकीर्णक रचेल छे.
आ पयन्ना उपर पू० आ० श्रीमद् आनंदविमलसूरीश्वर शिष्य प्रवर श्री विजयविमल गणिए वृत्ति रची छे. वानर्षि तेमनु बीजु नाम हतु तेमणे गच्छाचार बे टीका १६२२-१६२४ मां रची छे. १६२३मां बंधोदय सत्ता प्रकरण तथा तेनी अवचूरि तथा कर्म पर प्रकरणो तथा भावप्रकरण स्वोपज्ञ टीका रची छे.
आ आगममां मानव जन्म द्वारा धर्मसाधना करवाना उपदेश माटे गर्भावस्था, दशा, युगिलिक स्वरूप, संहनन संस्थान, तन्दुलादिप्रमाण, उच्छवासादि गणना, पृष्ठकरण्डकादि गणना, शरीरनी असुन्दरता स्त्रीनु असुन्दरस्वरूप वर्णवी भव वैराग्य पैदा थाय तेवु विशद् वर्णन छे. __आ आगम हितेच्छु पुण्यात्माओ माटे आत्मजागृतिनु अमूल्य आलम्बन छे. २०४२ पोष सुद २ रविवार
लि०लाखाबावल-शांतिपुरी
जिनेन्द्रसूरि (जामनगर)