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________________ प्रकाशिका - श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल - शांतिपुरी (जिल्लो - जामनगर ) सौराष्ट्र वीर सं० २५१२ वि० सं० २०४२ सन् १९८६ प्रथमावृत्तिः प्रतयः ७५० * आभार अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन - योजनामां आ श्री तन्दुलवेयालीयपयनो सटीक प्रगट करतां आनंद अनुभवीए छीए. आ ग्रन्थ परमशासनप्रभावक शासनशिरोमणि पूज्याचार्यदेवेश श्रीमद्विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना पट्ट - घर प्रशमपीयूषनिधि आगमप्रज्ञ पू० आचार्यदेव श्रीमद् विजयजित मृगांक सूरीश्वरजी म० ना शिष्यरत्न विद्ववर्य प्रवचनप्रभावक स्वर्गस्थ पू० पन्न्यास श्री भद्रानंदविजयजी गणिवरना सदुपदेशथी. श्री श्रीपालनगर जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक देरासर ट्रस्ट (वालकेश्वर, मुंबई ) नो सहकार मलेल छे तेमना तरफथी आ ग्रन्थ प्रकाशित करवामां आव्यो छे. तेमना आ शुभ सहकार माटे खूब - खूब आभार मानीए छीए । सदुपदेशदाता पू० पं. श्री भद्रानन्दविजयजी गणिवरश्रीए २०४० नु चातुर्मास श्रीपालनगर करेलु अनेकविध शासन प्रभावना उपधानादि थया. अने सुरत संसारी वतनमां पधार्या त्यां चातुर्मास अने तबीयत बगड़तां समाधिपूर्वक कालधर्मं पाम्या.. तेोश्री आत्मानी आ तके शांति इच्छीए छीए. ता० ११-१-१९८६ शाक मारकेट सामे, जामनगर (सौ.) लि० 91 महेता मगनलाल चत्रभुज व्यव. श्री एर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला गौतम आर्ट प्रिन्टर्स, नेहरूगेट बाहर, ब्यावर ( राज० ) ३०५९०१
SR No.022607
Book TitleTandul Vaicharik Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayjinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1986
Total Pages166
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_tandulvaicharik
File Size10 MB
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