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भूमिका
श्री जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला को पाठकों के कर-कमलों में समर्पित करते हुए बड़ी प्रसन्नता हो रही है। श्री छोटेलालजी यति द्वारा संचालित जीवन-श्रेयस्कर ग्रन्थमाला ने जीवन श्रेयस्कर-पाठमाला की प्रथमावृत्ति छपायी थी जिसको स्वाध्याय प्रेमियों ने ठीक पसंद की थी। अब अप्राप्य होने के कारण इसकी दूसरी आवृत्ति धर्मानुरक्ता श्रीमती केशर बहिनत्र मृतलाल जौहरी ने कई बहिनों की प्रेरणा से छपवाई है। हमें आशा ही. नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि पाठकों ने पहिले पाठमाला को अपनाई है उसी प्रकार इसे भी अपनावेंगे। ... -
इस पुस्तक में प्रकाशित सूत्रों आदि का प्रकाशन यद्यपि कई स्थानों से हो चुका है किन्तु ये स्वाध्याय के लिए परमोपयोगी होने से इन सब का संग्रह एक ही जगह किया गया है। स्वाध्याय आत्मोन्नति का सरल, सुन्दर और सुगम अत्युत्तम मार्ग है । अतः स्वाध्याय के लिए उत्तमोत्तम ग्रन्थों का संग्रह करना प्रत्येक मनुष्य के लिये आवश्यक है । शास्त्र, धर्म ग्रन्थ, महापुरुषों के जीवन चरित्र, महापुरुषों के उपदेश, प्राप्तपुरुषों द्वारा उपदेशित परमपद प्राप्ति के साधनों का ज्ञान कराने वाले ग्रन्थ तथा आत्म दर्शन कराने वाले साहित्य के पठन-पाठन एवं स्वाध्याय करने से निश्चय ही विचारों में तपनुकूल परिवर्तन होकर जीवन शान्तिमय बन सकता है।