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________________ [१२] श्री नेमिनाथस्वामी भगवान श्री कृष्णके संपर्क भ्राता ( ताऊ के लड़के ) थे । ..... भगवान् श्री कृष्णको यदि हम ऐतिहासिक पुरुष मानते हैं तो हमें बलात् उनके साथ होनेवाले २२वें तीर्थंकर श्रीनेमिनाथको भी ऐतिहासिक पुरुष मानना पड़ेगा। यही बान डॉ० फुहररने "एपीये फिका इंडिका ( भा० १४० ३८९ और भा० २ ० २०६ - २०७ ) में लिखी है कि- " जैनियोंके २२वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथजी ऐतिहासिक पुरुष माने गये हैं । भगवद्गीता के परिशिष्ट में श्रीयुत वरवे स्वीकार करते हैं कि नेमिनाथ श्रीकृष्णके भाई थे । जब जैनियोंके २२वें तीर्थंकर श्रीकृष्णके समकालीन थे तो शेष इक्कीस श्रीकृष्ण से कितने वर्ष पहले होने चाहिये, यह पाठक स्वयं अनुमान कर सक्ते हैं ।" इसी कारण श्रीयुत प्रो० तुकाराम कृष्णशर्मा लहु बी० ए०, पी० एच० डी०, एम० आर० ए० एस, एम० ए० एस ०, इत्यादिने कहा है कि "सबसे पहिले इस भारतवर्ष में "ऋषभदेवजी" नामके महर्षि उत्पन्न हुए । वे दयावान भद्र परिणामी पहले तीर्थंकर हुए जिन्होंने मिथ्यात्व अवस्थाको देखकर 'सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र रूपी मोक्ष शास्त्रका उपदेश किया । बस यह ही जिन दर्शन इस कल्प में हुआ । इसके पश्चात् अजितनाथसे लेकर महावीर तक तेईस तीर्थंकर अपने२ समय में अज्ञानी जीवोंका मोह अन्धकार नाश करते रहे ।" " इसीलिये श्रीयुत वरदाकांत मुख्यो मिनाथजी एक ऐति हासिक पुरुष और शेष तीर्थकर | १ - हरिवंशपुराण भूमिका पृ० ६ । २-अजैन विद्वानोंकी सम्मतियां (व्यावर) पृ० २८ ।
SR No.022599
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1931
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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