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________________ ६२] भगवान पार्श्वनाथ । बौद्ध साहित्यपर जब दृष्टि डाली जाती है तो वहांपर म० बुद्धके पहलेसे सोलह राज्योंका अस्तित्त्व भारतवर्षमें मिलता है । बेशक म० बुद्धके जीवनकालमें भी इन सोलह राज्योंका और इनके साथ अन्य प्रजासत्तात्मक राजाओंका अस्तित्व मिलता है; परन्तु ऐसी बहुतसी बातें हैं जो इन सोलह राज्योंका अस्तित्व म० बुद्धसे पहलेका प्रमाणित करती हैं । म० बुद्धके जीवनमें कौशलका अधिकार काशीपर होगया था; अङ्गपर मगधाधिपने अधिकार जमा लिया था और अस्सक लोग संभवतः अवन्तीके आधीन होगये थे, किंतु उपरोक्त सोलह राज्योंमें ये तीनों ही देश स्वाधीन लिखे गये हैं। इसीलिए इनका अस्तित्व बौद्ध धर्मकी उत्पत्तिके पहलेसे मानना ही ठीक है । यह बात दीघनिकाय (२-२३५) और महावस्तु (३ । २०८-२०९)के उल्लेखोंसे भी प्रमाणित है; जिनमें बौद्ध धर्मके पहले केवल सात मुख्य देशों अर्थात् (१) कलिंग, (२) अस्सक, (३) अवन्ती, (४) सौवीर, (५) विदेह, (६) अङ्ग और (७) काशीका नामोल्लेख है । इसमें भी कलिङ्गके साथ अस्सक, अङ्ग और काशीका उल्लेख स्वतंत्र रूपमें है । इस अवस्थामें कहना होगा कि भगवान पार्श्वनाथनीके समयसे ही सोलहराज्योंका अस्तित्व भारतमें मौजूद था। ____ इस प्रकारकी राजव्यवस्थाके दर्शन हमें भगवान पार्श्वनाथके समयमें होते है और उस समयकी सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितिका दिग्दर्शन करके आइए पाठकगण, एक नजर तत्कालीन धार्मिक परिस्थिति पर भी डाल लें । १. कम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ इन्डिया भाग १ पृ० १७३ ।
SR No.022598
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1928
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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