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________________ १४२] भगवान पार्श्वनाथ । बसनेवाली एक जाति थी, यह प्रमाणित हो गया है। कैस्पियन समुद्रके निकट बसनेवाली जातियोंका पूर्ण उल्लेख हम अगाड़ी करेंगे। यहांपर इस कथासे भी यह स्पष्ट है कि जिन नागोंको पानीमें रहनेवाला बतलाया गया है वे दरअसल मनुष्य थे। जैन शास्त्रोंमें तो उनको ऐसा ही बताया है जैसे कि पद्मपुराणजीके उपरोक्त उल्लेखसे प्रकट है। नेपालके इतिहासकी एक अन्य कथासे यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि यह नागलोग वास्तवमें मनुष्य ही थे । इस कथामें कहा गया है कि नेपालके राजा हरिसिंहदेवका एक वैद्य एक दिन तालाबके किनारे स्नान कर रहा था कि इतनेमें ब्राह्मणका रूप 'धरकर नागोंके राजा करकोटक वहां आये और उन वैद्य महाशयसे साथ चलनेकी प्रार्थना करने लगे । कहने लगे कि 'वैद्यराज, हमारी स्त्रीकी आंखें दुख रहीं हैं; आप चलकर देख लीजिये।' वैध महाशय ज्यों त्यों कर राजी हुये । वह दोनों दक्षिण पश्चिमकी ओर एक तालाबके किनारे आये। नागराजने वहांपर ब्राह्मणकी आंखें बंद करके नो डुबकी लगाई तो दोनोंके दोनों पातालपुरी नागराजके दरबारमें हाजिर हुये । नागराज बड़ी शानसे आसनपर बैठे हुए थे, चमर ढोले जारहे थे। उनने अपनी नागरानीको वैद्यराजको दिखाया । वैद्य महाशयने उमकी आंखोंका इलाम किया और वह अच्छी हो गई । नागराजने प्रसन्न होकर वैद्य महाशयको भेंट दी और उन्हें सादर विदा किया। इस अपेक्षा यह स्पष्ट है १-दी इन्डियन हिस्टॉरकली कार्टरली भाग १.० ४५८ । २-दी 'हिस्ट्री ऑफ नेपाल पृ० १७८ ।
SR No.022598
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1928
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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