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________________ ++++++ विश्वनी आध्यात्मिा मायनीमो++++++++ ત્યાં વળી સ્ટેશનના એકાદ માણસને કુલી અંગે પૂછપરછ કરતા એ ભાઈએ કહ્યું કે “આ બાકડા પર ઉઘેલો નાનો છોકરો કુલીનું કામ કરે છે એને ઉઠાડો. એ તમારું કામ પતાવી દેશે.” શેઠે એને ઉપર મુજબ કહીને ઉઠાડ્યો. ___ योगतो योगतो मे छोरो तरत. उभो थयो. "शेठजी ! माफ करना, जरा निंद जोर से आ गइ, इसलिए गाडी आ गइ, वो भी मालुम नहि पड़ा । फरमाइए, कौन सा सामान उठाना है।" शेठे सामान बावाने ? "घोडागाडी तक उसे ले जाना है, बोल कितनी मजुरी लेगा।" "शेठ ! आप जो देंगे, वो ले लुंगा।" छोराले नम्रताथ. ४ाप हीमो. ५९॥ शे6 °४मानाना ખાધેલ હતા. આ બધી બાબતમાં પાછળથી ઝઘડા થાય એના કરતા પહેલેથી જ ચોક્કસ રકમ नीरी सेवामां आवे तो थी. ॐ2 न. २. भेटले. शेठ ३२री हो “ऐसा नहि, पक्की मजुरी बोल दे, बाद में झंझट नहि ।" ___५ छो४२॥ ५९॥ भी।शथी ४५ दीयो. "शेठजी ! आप कम थोडे ही देंगे ? आप जो देंगे, मुझे मंजुर हैं, आप चिंता मत कीजिए।" भने शेठे विश्वास. मूडीयो सामान उंयावाव्यो. છોકરાએ ઝડપથી બધો સામાન ઘોડાગાડી સુધી પહોંચાડ્યો. ઘોડાગાડીમાં ચડાવી દીધો. છોકરાની હોંશિયારી, નમ્રતા જોઈ મારવાડી શેઠ એના તરફ આકર્ષાયા. “આને મારા ઘરે २।जी 06, तो पो म. भावे...” शेठनी अनुभवी पो रत्नने ५।२५ यूडी. ता. "देख बेटे ! मेरा घर छोटी गली में है। गली के अंदर घोडागाडी नहि जा शकती । तुं एक काम करेगा ? मेरे साथ ही घोडागाडी में बेठ जा, गली के बाहर घोडागाडी खडी रहेगी, वहाँ से घर तक ये सामान फिर से उंचकना पडेगा । करेगा ये काम ? मजुरी पूरी दूंगा।" शेठे विनतिरी.. छोरा नहीपो. "अरे शेठ ! मैं काम करने के लिए ही तो हूं। चलो, मैं साथ आता हूँ।" રસ્તામાં શેઠે છોકરાને બધું પૂછી લીધું કે “એ ક્યાં રહે છે, સ્ટેશન પર કેટલો સમય મજુરી ४२ छ ? यो ४ छ ? भरीन। पैसा स्यां राणे छ ? भा-५ या २ छ ?" આ બધા જ પ્રશ્નોના જવાબો છોકરાએ કંઈક ઉદાસ બનીને આપ્યા. કારણ કે એની હાલત सारी न उता. मे बोल्यो "शेठजी ! मेरा कोई घर नहि है । मैं अनाथ हुं । न मेरे मा-बाप है, न मेरे भाइबहन । मैं कौन था, वो भी मैं नहि जानता ! मैं किस तरह बडा हुआ, ये भी मुझे मालुम नहि है । जब से मैं अक्कलमंद हुआ हूँ। तब से मैंने अपने आप को स्टेशन पे ही देखा है। स्टेशन मास्तर को मेरे पर लगाव है । बर्षो से मैं यह मजुरी का काम करता हूँ, स्टेशन की केन्टीन में भोजन करता हूँ, रात को स्टेशन के बाकडे पर सो जाता हूँ, जो कुछ पैसे बचत होते हैं, वो स्टेशन मास्तर को दे देता हूँ, वो भला आदमी है, मेरे पैसे वो संभालते हैं।"
SR No.022595
Book TitleVishvani Adhyatmik Ajayabio Aapna Sadhu Sadhvio Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunhansvijay
PublisherKamal Prakashan Trust
Publication Year2014
Total Pages124
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size19 MB
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