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________________ प्रथम अध्ययन : शस्त्रपरिज्ञा *३५ * छठा उद्देशक: • प्रत्यक्ष अनुभूति. मूलसूत्रम् मंदस्सावियाणओ। पद्यमय भावानुवाद अल्प बुद्धि से युक्त हैं, अथवा मूरख बाल। त्रस काया की वेदना, कर अनुभव बेहाल।। • सुरव इच्छुक जीवात्मा. मूलसूत्रम्सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसिं भूयाणं सव्वेसिं जीवाणं सव्वेसिं सत्ताणं अस्सायं अपरिणिव्वाणं महब्भयं दुक्खं । पद्यमय भावानुवाद सभी जीव इस सृष्टि के, चाहत हैं सुख-शान्ति। क्यों नहिं समझो बंधु तुम, क्यों है तुमको भ्रान्ति ।।१।। दुक्ख-असाता-वेदना, नहीं किसी को इष्ट । महाश्रमण का वचन यह, कर न जीव को नष्ट।।२।। • मृत्यु-भय. मूलसूत्रम् तसंति पाणा पदिसो दिसासु य। पद्यमय भावानुवाद- _... सर्व दिशा से हो रहे, त्रस प्राणी भयभीत। ... मरने से डरते सदा, करो सभी से प्रीति।।
SR No.022583
Book TitleAcharang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri, Jinottamsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2000
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size41 MB
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