SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * 8* स्वामी का संक्षिप्त जीवन चरित्र प्रमुखत चरणकरणानुयोग तथा गोणतः अन्य तीनों अनुयोगों का वर्णन प्राप्त होता है। इस महनीय आगम में कुल 2,554 गाथाएँ (श्लोक) हैं। आचारांङ्ग के प्रथम श्रुतस्कंध में नौ अध्ययन हैं(1) प्रथम शस्त्रपरिज्ञा नामक अध्ययन में सात उद्देशक हैं, जिनमें क्रमशः दिशा का पृथ्वी काय का, उप्काय (जलकाय) का, अग्निकाय का, वनस्पति काय का, त्रसकाय का तथा वायुकाय का वर्णन है। (2) आचाराङ्ग सूत्र के द्वितीय श्रुतस्कंध नामक विभाग में सोलह अध्ययन हैं, जिनमें वर्णित विषय संक्षेपतः इस प्रकार है1. पिण्डैषणा नामक अध्ययन में आहार ग्रहण करने की विधि का वर्णन 2. शय्यैषणा नामक दूसरे अध्ययन में स्थान ग्रहण करने की विधि का वर्णन है। - 3. ईर्या नामक तृतीय अध्ययन में ईर्या समिति विधि का वर्णन है। 4. भाषैषणा नामक चतुर्थ अध्ययन में भाषा समिति का सार्थक वर्णन है। 5. वस्त्रैषणा नामक पञ्चम अध्ययन में वस्त्र ग्रहण करने की विधि का वर्णन है। 6. पात्रैषणा नामक षष्ठ अध्ययन में पात्र ग्रहण करने की विधि का विशद वर्णन है। . अवग्रह प्रतिमा नामक सप्तम अध्ययन में आज्ञा ग्रहण करने की विधि का वर्णन है। 8. चेष्टिका नामक अष्टम अध्ययन में खड़े रहने की विधि का वर्णन है। 9. निषिधिका नामक नवम अध्ययन में बैठने की सार्थक विधि का वर्णन है। 10. उच्चार-प्रस्रवण नामक दशम अध्ययन में लघु नीति, दीर्घ (बड़ी) नीति परठने की विधि का वर्णन है। 11. शब्द नामक एकादश अध्ययन में शब्द श्रवण करने की विधि का विशद वर्णन है।
SR No.022583
Book TitleAcharang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri, Jinottamsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2000
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy