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________________ परिशिष्ट-१ ] सप्तमोऽध्यायः [ ६५ (४) तस्स इमा पंच भावरणामो चउत्थयस्य होंति प्रबंभचेर वेरमणपरिरक्खरगट्टयाए। [प्रश्न व्या. ४, संवर. सू. २७] (५) तस्स इमा पंच भावणानो चरिमस्स वयस्स होंति परिग्गह वेरमरणपरिरक्खरगट्टयाए । [प्रश्न व्या. ५, संवरद्वार सू. २६] 卐 मूलसूत्रम् हिंसादिष्विहामुत्र चापायावद्यदर्शनम् ॥ ७-४ ॥ दुःखमेव वा ॥ ७-५॥ * तस्याधारस्थानम् संवेगिणो कहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - इहलोगसंवेगरणी, परलोगसंवेगणी, प्रातसरीरसंवेगरणी, परसरीरसंवेगरणी । णिव्वेयणी कहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ॥ १॥ इहलोगे दुचिन्ना कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवन्ति ॥ २ ॥ परलोगे दुचिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवन्ति ॥ ३ ॥ परलोये दुचिन्ना कम्मा परलोये दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ॥ ४ ॥ इहलोगे सुचिन्ना कम्मा इहलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ॥ १ ॥ इहलोगे सुचिन्ना कम्मा परलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति, एवं चउभंगो। [स्था० स्थान ४, उ० २ सूत्र २८२] 卐 मूलसूत्रम् मैत्रीप्रमोदकारुण्यमाध्यस्थ्यानि सत्त्वगुणाधिकक्लिश्यमानाविनेयेषु ॥ ७-६ ॥ * तस्याधारस्थानम्मित्ति भूएहिं कप्पए.... [सूत्रकृताङ्ग प्रथमश्रुतस्कन्ध अध्याय १५ गाथा ३] सुप्पडियाणंदा । [ौप० सूत्र १ प्र० २०]
SR No.022535
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2001
Total Pages268
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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