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________________ परिशिष्ट - १ imam * श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रस्य जैनागमप्रमाणरूपश्राधारस्थानानि * ॐ पञ्चमोऽध्यायः फ्र 5 मूलसूत्रम् ॥ नमो नमः श्रीजिनागमाय ॥ जीवकाया धर्माधर्माऽऽकाश पुद्गलाः ।। ५-१ ॥ मूलसूत्रम् * तस्याधारस्थानम् चत्तारि श्रत्थिकाया प्रजीवकाया पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, श्रधम्मत्थिकाए, श्रागासत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए । द्रव्याणि जीवाश्च ।। ५-२ ॥ woman मूलसूत्रम् [ श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति शतक ७, उद्देश - १०, सूत्र - ३०५ । श्रीस्थानाङ्ग स्थान ४, उद्देश - १, सूत्र - २५१] * तस्याधारस्थानम् - कइविहाणं भंते ? दव्वा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । " जीवदव्वा य जीवदव्वा य" नित्यावस्थितान्यरूपाणि च ।। ५-३ ।। रूपिणः पुद्गलाः ।। ५-४ ।। तं जहा [ श्री अनुयोगद्वार सूत्र - १४१] * तस्याधारस्थानम् - पंचfत्थकाए न कयाइ नासी न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ भुवि च भव भविस्स प्रधुवे नियए सासए प्रक्खए श्रव्वए श्रवट्टिए, निच्चे प्ररुवी । [श्रीनंदिसूत्र० सूत्र - ५८ ] पोग्गलत्थिकायं रूविकायं । [ श्रीस्थानाङ्गसूत्र स्थान -५, उद्देश-३, सूत्र -१ । श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति शतक-७, उद्देश - १०]
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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