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________________ हिन्दी पद्यानुवाद ] पञ्चमोऽध्यायः [ ६३ ॐ मूलसूत्रम् संघातमेदेभ्य उत्पद्यते ॥ ५-२६ ॥ भेदावणुः ॥ ५-२७ ॥ भेदसंघाताभ्यां चाक्षुषाः ॥ ५-२८ ॥ * हिन्दी पद्यानुवाद संघात एवं भेद से फिर संघात-भेद मानिए । फिर भेद से अणु उद्भव गुह्यार्थ को पहचानिए ।। भेद और संघात से स्कन्ध उत्पन्न जानिए । नेत्र से ये दृष्ट निर्मल शास्त्र मर्म विचारिए ॥ ६ ॥ ॐ मूलसूत्रम् उत्पाद-व्यय-ध्रौव्ययुक्त सत् ॥ ५-२६ ॥ तभावाव्ययं नित्यम् ॥ ५-३० ॥ अर्पिताऽनपितसिद्धः ॥ ५-३१ ॥ * हिन्दी पद्यानुवाद उत्पाद व्यय अरु ध्रौव्यता हो उसे 'सत्' मानिए । स्वरूप को अक्षुण्ण रखे नित्य उसको जानिए । है सिद्ध अर्पित धर्म से एवं अनर्पित धर्म से । विश्व में नहीं शुद्ध कोई बिन स्याद्वादी मर्म से ॥ १० ॥ 卐 मूलसूत्रम् स्निग्धरूक्षत्वाद् बन्धः ॥ ५.३२ ॥ न जघन्यगुणानाम् ॥ ५-३३ ॥ गुणसाम्ये सदृशानाम् ॥ ५-३४ ॥ द्वयधिकादिगुणानां तु ॥ ५-३५ ॥ बन्धे समाधिको पारिणामिको ॥ ५-३६ ॥ गुणपर्यायवद् द्रव्यम् ॥ ५-३७ ॥ कालश्चेत्येके ॥ ५-३८ ॥ सोऽनन्तसमयः ॥ ५-३६ ॥
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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