SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २] 25 मूलसूत्रम् - श्राकाशस्यावगाहः ।। ५- १८ ।। शरीर - वाङ्मनः प्राणापानाः पुद्गलानाम् ॥ ५-१६ ॥ सुख-दुःख- जीवित-मरणोपग्रहाश्च ।। ५-२० ।। परस्परोपग्रहो जीवानाम् ।। ५-२१ ।। * हिन्दी पद्यानुवाद 5 मूलसूत्रम् प्रकाश ही अवकाश देता तन वचन मन श्वास को । सुख दुःख जीवित मरण उपकार पुद्गल वास को || उपकार एक से एक सह है जीवद्रव्य की भावना । छोड़ो हित हित साध लो सुशील की सद्भावना ।। ६ ।। श्री तत्वार्थाधिगमसूत्रे वन्तश्च ।। ५-२४ ॥ वर्तना परिणामः क्रिया-परत्वापरत्वे च कालस्य ।। ५-२२ । स्पर्श-रस- गन्ध-वर्णवन्तः पुद्गलाः ।। ५-२३ ॥ शब्द - बन्ध सौक्ष्म्य स्थौल्य संस्थान भेद तमश्छायाऽऽतपोद्योत - * हिन्दी पद्यानुवाद - प्रणवः स्कन्धाश्च ।। ५-२५ ॥ - [ हिन्दी पद्यानुवाद - वर्तना परिणाम क्रिया परत्व अरु अपरत्व से । काल के ये पाँच कर्म कहे भेद प्रभेद से ।। काल की व्याख्या करे जब सूत्र का सारांश है । सूत्र बाईस पूर्ण हो तब पुद्गलों का अर्थ है ।। ७ ।। स्पर्श रस गन्ध वर्णी पुद्गलों को जानिये । नः शब्द बन्ध सूक्ष्म स्थौल्य संस्थान भेद मानिये || अन्धकार छाया श्रातप श्रौर जाणो उद्योत से । अणु तथा फिर स्कन्ध भावित कहे भेद ये श्रुत से ।। ८ ।।
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy